साधर्मी की भक्ति ही सबसे बड़ा धर्म है – डॉ. गिरिश शाह

रतलाम 07 जनवरी । जीवन मे कर्म ही आपके साथ जाते है सदकर्म करते रहने से अपने पुण्य मे वृद्धि होती है जैन धर्म मे अपने साधर्मीकी भक्ति, उनको आत्मनिर्भर बनाना, एवं धर्म की मुख्यधारा से जोड़ना ही सच्चा धर्म है । उक्त उदबोदन जैन श्वेतांबर सोशल्य ग्रुप रतलाम के सदस्यों के बीच भारत सरकार के भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य डॉ. गिरिश शाह ने कहे । रतलाम आगमन पर जैन श्वेतांबर सोशल ग्रुप फेडरेशन के राष्ट्रीय मार्ग दर्शक हेमंत कोठारी के मार्गदर्शन में पगड़ी पहना कर बहूमान किया गया । इस अवसर पर संयुक्त जैन युवा संघ के संजय पारख, ग्रुप अध्यक्ष प्रकाश भटेवरा, संदीप चौहान, प्रदीप डांगी, चंद्रशेखर सोनी, शीतल पावेचा, अजय जैन आदि द्वारा स्वागत किया गया । डॉ. गिरीश शाह द्वारा जनहित में अनेक सुझाव दिए गए।

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