
इंदौर (राजेश जैन दद्दू) । जो साधु साधु से मिलकर रहे वह भविष्य का भगवान है। साधुओं पर शंका नहीं करें उन पर श्रद्धा रखें। जिसने निरगृनथों (मुनियों) को पहचान लिया और उनके प्रति सच्ची श्रद्धा और भावना रखी वह सच्चा मोक्ष मार्गी है। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि ये उद्गार दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में आज उपाध्यक्ष श्री विश्रुतसागर जी महाराज ने प्रवचन में व्यक्त किये। आपने कहा कि भावना जिसकी अच्छी नहीं होती वह भगवान नहीं बन सकते। यदि अपना मोक्ष मार्ग प्रशस्त करना चाहते हो तो सम्यक दृष्टि बनो और देव शास्त्र गुरु पर श्रद्धा रखते हुए उनके वचनों को भी मानो।
धर्म सभा को मुनि श्री समत्व सागर जी महाराज ने भी संबोधित करते हुए कहा की जीवन में शांति बाहर के वैभव से नहीं, क्रोध, मान, माया, लोभ कषाय से मुक्त होने और संयम धारण से मिलेगी ।
आपने कहा कि असंयमी जीव तीव्र कसाई होते हैं। कसायों में मंदता आने पर ही जीव संयमी बनेगा और देव शास्त्र गुरु की शरण में रहेगा तो शांति सागर बनेगा इसलिए अपने जीवन को संयम से श्रृंगारित कर अपना कल्याण करें। धर्म सभा में डॉक्टर जैनेंद्र जैन डॉक्टर वी सी जैन, शैलेंद्र सोनी, अरविंद सोधिया, प्रकाश पांड्या, सुनील सुरेंद्र जैन टारगेट आदि समाज जन उपस्थित थे।