सुलभ को कठिन बनाना आसान है, लेकिन कठिन को सुलभ बनाना ही उतना ही मुश्किल

  • अगर आप किसी का सहयोग नहीं कर सकते तो उनके कार्यो में बाधा भी नहीं बनें
  • तृतीय दिवस की कथा में पूज्य उत्तम स्वामी जी ने कथा का वाचन करते हुए कहा

रतलाम । दृष्टि में दोष हो तो भगवान की प्राप्ति नहीं होती। भगवान को अगर प्राप्त करना है भगवान का स्मरण करना है, किसी भी निंदा नहीं करना है, किसी को कमियों को नहीं गिनाना चाहिए । नारायण नाम का श्रवण और स्मरण करना चाहिए । भजन कीर्तन करना चाहिए । भजन में मन नहीं लगता तो कथा में जाएं, आरती में जाए । ईश्वर प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम श्रीमद् भागवत ग्रंथ है । मृत्यु कभी टाली नहीं जा सकती । लेकिन मृत्यु को सुधारने का समाधान शास्त्रों में लिखा है। मृत्यु को सुधारने के लिए सदगुरू का सानिध्य, राम नाम का जाप करें, भगवान के नाम का जाप एकाग्रचित्त होकर करें । कोई व्यक्ति एक क्षण भी परमात्मा का स्मरण करें तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है । दो ही लोग भगवान को प्राप्त कर सकते है तो एक सज्जन और एक दुष्ट । रावण जैसी दुष्टता करों तो राम आएंगे या शबरी जैसी सज्जनता करों तो राम मिलेंगे। सज्जनतों की पीड़ा हरने और दुष्टों का वध करने भगवान आते है । सुलभ को कठिन आसान है लेकिन कठिन को सुलभ बनाना उतना ही मुश्किल है।
उक्त वक्तव्य पूज्य गुरूदेव श्री उत्तम स्वामी जी ने त्रिवेणी तट पर स्थल पर श्री बद्रीनारायण सेवा ट्रस्ट रतलाम द्वारा पं. श्री रामचन्द्र जी डोंगरे महाराज की प्रतिमा अनावरण के अवसर पर आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस की धर्म सभा में कहें।
गुरूदेव उत्तम स्वामी जी ने कथा प्रारम्भ में पंडित रामचन्द्र जी डोंगरे महाराज का स्मरण किया उसके पश्चात आपने परमात्मा के स्वरूप का सम्पूर्ण शरीर का विस्तृत वर्णन किया । कथा में आज उद्धव जी एवं विदुर महाराज की कथा सुनाई । विदुर जी – उद्धव जी का संवाद, हिरण्यकश्यप की कथा का विस्तृत वर्णन, वराह अवतार, ध्रुव कथा, कपिजी महाराज के अवतरण की कथा का श्रवण कराया। आपने कहा कि श्रेष्ठ व्यक्तियों के प्रति द्रोह (द्वेष) नहीं रखें, अगर आप किसी का सहयोग नहीं कर सकते तो उनके कार्यो में बाधा भी नहीं बनें । दक्ष प्रजापति की कथा का वृतांत देकर आपने समझाया कि श्रेष्ठ कार्यो में बाधा नहीं बनना चाहिए । बल्कि उसमें सहयोग करना चाहिए।
कथा के प्रारम्भ में मुख्य यजमान श्रीमती हीरादेवी ओमप्रकाश सोनी, जयेश हर्षा सोनी, चारू कमलेश, लक्की राहुल सोनी परिवार द्वारा पोथी पूजन एवं गुरु पूजन किया गया। साथ ही विभिन्न संस्थाओं जिनमें श्री बद्री नारायण सेवा ट्रस्ट, सनातन धर्म मानव कल्याण न्यास, जांगड़ा पोरवाल समाज, गोपाल जी का बड़ा मंदिर, चिंतामण गणेश मंदिर पैलेस रोड़, जांगिड़ ब्राह्मण समाज रतलाम, शांतिलाल पाटीदार बिरमावल गौशाला, श्री गोपाल गौशाला न्यास रतलाम, श्री परशुराम कल्याण बोर्ड अनुराग लोखंडे, अ.भा. ग्राहक पंचायत, सर्व ब्राह्मण समाज, नारायण राठौड़ आदि संस्थाओं द्वारा पूज्य गुरुदेव का सम्मान एवं पोथी पूजन किया गया। कथा के अंत में शिव पार्वती विवाह वृतांत सुनाते हुए कहा कि विवाह पद्धति धर्म पद्धति है। इसलिए पत्नी को धर्मपत्नी कहा जाता है। अंत में आरती कर प्रसादी वितरण की गई । धर्मसभा में बड़ी संख्या में श्रावक गण उपस्थित थे ।
इस अवसर पर राठौड़ तेली समाज रतलाम द्वारा श्रीमद् भागवत कथा स्थल त्रिवेणी तट पर शीतल जल की प्याऊ का उदघाटन श्री बद्रीनारायण सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा एवं कथा के यजमान ओमप्रकाश सोनी द्वारा भक्तों को जल पिलाकर किया गया। राठौड़ समाज के जमादार राजेन्द्र राठौड़, सतीश राठौड़, नारायण पहलवान, दिनेश राठौड़, संतोष राठौड़, कन्हैयालाल राठौड़, कैलाश शर्मा के साथ राठौड़ समाज के समाजजन उपस्थित थे। प्याऊ का संचालन कथा के अंतिम दिवस कर निरंतर संचालन किया जाएगा।