वृद्धाश्रम आनंददायी घटना नही, दुखदायी घटना है। आशीर्वाद रूप नही, श्रापरूप है” – जैनाचार्य

करेणी जैन पौषध शाला में जैनाचार्य का प्रेरणादाई धर्म प्रवचन हुआ

रतलाम । शहर में 15 दिन स्थिरता करके संयमपर्व उजवाणी, जीवित महोत्सव, 3-3 जिनालयों की प्रतिष्ठा, सामूहिक दीक्षा महोत्सव आदि प्रसंगों के प्रभावक निश्रादाता, रतलाम जैन संघ के उपकारी आचार्य श्री विजय मुक्तिप्रभ सुरीश्वर जी महाराजा, तीन-तीन जैन आचार्य समेत विशाल श्रमण – श्रमण समुदाय रतलाम के हनुमानरुंडी से अपराह्न 3:30 बजे अहमदाबाद की ओर 8 किलोमीटर तक विहार का प्रारंभ करके शाम को 5:30 बजे कनेरी गांव में अभयभाई गांधी निर्मित जैन पौषधशाला में पधारे। वहां पर जैन आचार्य के साथ पैदल विहार करके आने वाले 350 से अधिक श्रमण – श्रमणीगण की साधार्मिक भक्ति उदारदिल अतुल भाई दख एवं विनोद भाई मुणत की ओर से रखी गई थी। शाम को युवाओं एवं श्रावकों के लिए माता-पिता को मत भूलो विषय पर जैन आचार्य श्री विजय पुण्य रक्षित श्री जी महाराज साहब का प्रेरणादाई धर्म प्रवचन हुआ। इस धर्म प्रवचन में उन्होंने कहा कि माता-पिता जन्मदाता, जीवनदाता और संस्कारदाता है। उनकी भक्ति -सेवा करना चाहिए।
माता-पिता भक्ति के पात्र है, दया के पात्र नहीं है। आज के बेटे माता-पिता जब वृद्ध होते हैं तब उनको वृद्धाश्रम में भेजने का विचार करते है। वृद्धाश्रम आनंददायी घटना नहीं है, दुखदायी घटना है। आशीर्वाद रूप नहीं है, श्राप रूप है। यदि आप आपके माता-पिता को वृद्धाश्रम में भेजेंगे, तो भविष्य में आपके बेटे भी आपको वृद्धाश्रम में ही भेजेंगे।
उन्होंने यह बात भी बताई की बचपन में गोद देने वाली मां को बुढ़ापे में दगा देने वाला बेटा मत बनना। मां – बाप की आंखों में दो बार ही आंसू आते है। ‘लड़की घर छोड़े तब, और लड़का मुंह मोड़े तब। आज जिस मुन्ने को मां बाप ने बोलना सिखाया था, वह मुन्ना बड़ा होकर मां-बाप को मौन रहना सीखता है।
बंटवारे के समय घर की हर चीज के लिए झगड़ा करने वाले आज के बेटे दो चीज के लिए उदार बनते हैं जिसका नाम है मां और बाप।
जो मां-बाप को ठुकराएगा वह दर-दर की ठोकर खाएगा।
आप माता-पिता को प्रतिदिन प्रणाम करो उनके आशीष प्राप्त करो।
“मां तू कैसी है!” इतना उनको पूछ,
उनको मिल गया सब कुछ।’
उपस्थित धर्म-प्रेमी श्रोताओं भी इस प्रेरणादायी प्रवचन सुनकर आनंदित हुए।
जैनाचार्य दिनांक 16 मई को प्रातः रानीसिंग के कान्वेंट स्कूल में पधारे, आज यहां सागर समुदाय के जैन आचार्य श्री विजय आनंदचंद्र सागर सूरीश्वर जी महाराज अपने शिष्यों के साथ पधारे थे। जैन आचार्य श्रीमद् विजय मुक्तिप्रभ सुरीश्वर जी आदि तीनों आचार्य के साथ सौहार्दपूर्ण मिलन हुआ एवं वार्तालाप भी हुआ।

जैनाचार्यों का संभावित विहार कार्यक्रम

पेटलावद : दिनांक 18 मई/रविवार,
मोहन कोट : दिनांक 19 मई/सोमवार,
दाहोद : दिनांक 23 मई/शुक्रवार,
गोधरा : दिनांक 27 मई/मंगलवार और अहमदाबाद दिनांक 5 जून/गुरुवार को पहुंचाने की संभावना है।
पेटलावद शहर में पूज्यआचार्यश्री का मंगल प्रवेश एवं धर्म प्रवचन भी होगा।

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