रतलाम। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक पर विराजित श्रमण संघीय आचार्य सम्राट ध्यान योगी डॉ. शिवमुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती संघ सेतु शासन प्रज्ञ, उपाध्याय श्री रविन्द्र मुनिजी म.सा. ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिसने हमारे जीवन में उपकार किया है ऐसे उपकारी का उपकार हमेशा मानना चाहिए । कृतज्ञता एक महान गुण है । कृतज्ञता का अर्थ है अपने प्रति की हुई सहायता के लिए श्रद्धावान होकर सम्मान प्रदर्शन करना । जो हमारे उपकारी है उनकी कभी निन्दा नहीं करे ।
आगे उपाध्याय श्री ने कहा कि जिस व्यक्ति में विशेष गुण हो, योग्यता हो उसकी हमेशा प्रशंसा करें । सोच सकारात्मक बनाये रखे । पद, प्रतिष्ठा और पैसा होने पर भी विनम्र बने । उचित समय पर उचित बात रखना चाहिए । समय निकलने के बाद उस बात का कोई महत्व नहीं रहता ।
पुज्य गुरूदेव पुनीतमुनिजी म.सा. ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि धर्म करने के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है समय, समझ और शक्ति । बचपन में समय होता है, समझ व शक्ति नहीं होती । जवानी में समय, समझ व शक्ति होती है व बुढ़ापे में समय व समझ होती है पर शक्ति नहीं होती है । इसलिये महापुरूषों ने कहा है कि धर्म उस समय कर लेना चाहिए जब तीनों चीजों का योग हो । हमें विचार करना है तीनों चीजों के योग होने के बाद भी हमारा समय धर्म में व्यतीत हो रहा है या व्यर्थ की निन्दा-चुगली में समय का सद्उपयोग करे इसे धर्म में लगाये
श्रीसंघ अध्यक्ष सुरेश कटारिया ने बताया कि संघ सेतु शासन प्रज्ञ उपाध्याय श्री रविन्द्रमुनिजी म.सा. आदि ठाणा 5 बीड़ महाराष्ट्र से वर्ष 2020 का चातुर्मास पूर्ण कर प्रथम बार रतलाम आगमन हुआ है । समाजजनों से अपील की है अधिक से अधिक संख्या में पधारकर पुज्य गुरूदेव के दर्शन, प्रवचन का लाभ लेवें ।