अनादरा । सभी धर्मों की उपासना का लक्ष्य- अंतरात्मा में समता भाव की वृद्धि करना है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने उपाध्याय प्रवर श्री मूलचंद जी महाराज साहब की 82 वी दीक्षा जयंती के तीन दिवसीय समापन समारोह पर सर्व धर्म सम्मेलन को संबोधित करते कहा कि साधना करते हुए भी राग द्वेष की तरंगे निर्मित होती है तो धर्म भी पाप में बदल जाएगा ।
उन्होंने कहा कि विषमता की की ज्वाला आत्मा के सद्गुणों को जलाकर खाक कर देती है अनु बम परमाणु बम से भी खतरनाक है राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि विश्व का कोई भी धर्म प्रेम और सद्भाव नष्ट करने की इजाजत नहीं देता है ।
मूर्तिपूजक रक्षित विजय जी ने बताया कि उपासना पद्धति की भिन्नता क्षेत्र और काल के अनुसार हो सकती है परंतु उसको लेकर मतभेद और टकराव नहीं होना चाहिए परस्पर प्रेम को खरोच नहीं आनी चाहिए प्रेम की रक्षा की परमात्मा की रक्षा करने के समान है । महंत रामदास ने कहा कि प्रेम से बढ़कर कोई मजहब और परमात्मा नहीं है धर्म में टकराव अलगाव और नफरत को कोई स्थान नहीं है सिख धर्म के ग्रंथि रछपाल सिंह फादर के थॉमस मौलाना अखलाक अहमद ने भी अपने संदेश में आपस में आत्मीयता अपनाने का आह्वान किया घनश्याम मुनि गौतम मुनि अरिहंत मुनि अक्षत मुनि ने विचार व्यक्त किए कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया परस्पर संतों का मधुर मिलन संपूर्ण मानव समाज में सद्भाव का संचार कर रहे हैं ।