अहिंसा संस्कार पदयात्रा के प्रणेता साधना महोदधि भारत गौरव उभय मासोपासी आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज निमियाघाट के सहस्त्र वर्ष पुरानी भगवान पारसनाथ की वरदानी छांव तले विश्व हितांकर विघ्न हरण चिंतामणि पारसनाथ जिनेंद्र महाअर्चना महोत्सव पर भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए।
निमियाघाट/कोडरमा । जैन आचार्य अन्तर्मना गुरु प्रसन्नसागर जी ने कहा कि बड़े शहरों में आजकल घरों में वहां बेटा बाप है और बाप बेटा है बेटों पर बापो का वहां कोई नियंत्रण नहीं है बेटों पर वहां बापो का कोई अधिकार नहीं है गांवों में घर परिवार में जैसे बड़े बुजुर्गों का एकछत्र राज्य चलता है शहरों में ऐसा कुछ नहीं दिखता वहां सभी अहममिंद्र हैं सभी अपने मन के राजा हैं और जो जिस घर में एक साथ दो दो राजा हो जाएं और एक साथ दो दो आदेश चलने लगे तो समझना कि उस घर में फूट होने वाली है वह घर शीघ्र ही बिखरने वाला है टूटने वाला है महानगरों में परिवार बड़ी तेजी से टूट रहे हैं संयुक्त परिवार की अवधारणा बड़ी तेजी से लुप्त हो रही है कारण जो मुझे समझ में आया वह सिर्फ यही है की नई पीढ़ी में आईक्यू तो बढ़ रहा है मगर समझदारी कम हो रही है बुद्धि तो बढ़ रही है मगर विवेक हो चला है आज की शिक्षा प्रणाली ने बालक को तब तो बना दिया लेकिन वह उसे सुसंस्कृत नहीं बना पाई शिक्षा का फल तो विनम्रता और समर्पण है मगर आज का तथाकथित उच्च शिक्षित वर्ग अहम वादी हो चला है और यही है अहमान्यता रिवारिक और सामाजिक बिखराव में कारण बन रही है। उक्त जानकारी कोडरमा मीडिया प्रभारी राज कुमार जैन अजमेरा, नवीन जैन ने दी।