मोह में उलझन, मोक्ष में निर्माण- परम पूज्य श्री जयश्रीजी महाराज

जावरा (अभय सुराणा)। ओजस्वी वक्ता, दिवाकर ज्योति, वाणी भूषण, परम पूज्य श्री जयश्रीजी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा दो शब्द है मोह और मोक्ष। मोह की धारा जब लग जाती है, मोह का कीटाणु लग जाता है तो संसार की भटकन प्रारंभ हो जाती है मोह संसार की लंबी यात्रा कराता है मोक्ष संसार की यात्रा को पूर्ण कर देता है। आदमी बचपन, योवन, बुढ़ापे में अलग-अलग तरह के मोह में जीता है बचपन में खिलौने से, जवानी में संपत्ति से और बुढ़ापे में जब कोई ना पूछे तो मौत से मोह हो जाता है लेकिन इस राग के भाव से ऊपर उठे माता मरुदेवी जिन्होंने आदिनाथ के चरणों में केवलज्ञान पा लिया साध्वी राज श्री जी म. सा. ने कहा है कि जो अपने आप को जान लेता है उसे और कुछ जानने की आवश्यकता नहीं है पर मुश्किल यह है कि हम जन्म से बाहर ही देख रहे हैं बाहर की दुनिया से खुश है बचपन से आज तक अंदर देखने की फुर्सत नहीं प्रभु महावीर ने साढे बारह वर्ष तक अंदर झांका तब जाकर उन्हें केवल ज्ञान हुआ अन्दर में अनन्त सुख है ।
श्रीसंघ अध्यक्ष इंदरमलजी टुकडिय़ा ने बताया कि आज की धर्म सभा में 9 उपवास की तपस्विनी नीमच निवासी कुमारी पूर्वा मनीषजी जैन पूज्य महासतिजी का आशीर्वाद प्राप्त करने उपस्थित हुई । तपस्विनी बहन का श्रीसंघ द्बारा बहुमान 9 उपवास की बोली लेकर पारसमल जी ओरा ने किया । श्रीमती सपना जैन दिवाकर महिला मंडल सचिव नीमच, द्बारा स्तवन के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किये। संचालन श्रीसंघ कोषाध्यक्ष महावीर छाजेड़ ने किया। धर्म सभा में इंदरमल टुकडिय़ा, कनकमल चोरडिय़ा, पुखराज कोचट्टा, शांतिलाल डांगी, महावीर छाजेड़, सुशील मेहता, सुजानमल ओरा, पारसमल औरा, नरेंद्र राका, राजमल खरीवाल, राकेश मेहता अनिल पोखरना, दशरथ चौरडिया,सुभाषचंद चोरडिय़ा, राकेश कोचट्टा, जतिन कोचट्टा, अजीत राका, विजय कोचट्टा, धनसुख चौरडिय़ा, निलेश टुकडिय़ा, राकेश स्रष्कोचट्टा, राजमल भटेवरा, फतेहलाल मेहता, बाबूलाल भटेवरा मोतीलाल मांडोत, बसंतीलाल चपडोद, विजय भटेवरा, पारसमल औरा, विनोद चपडोद, कमल चपडोद, समीरमल चत्तर, श्रेणिक नांदेचा, पुखराज भंडारी, अमोघ भटेवरा के साथ है निंबाहेड़ा एवं नीमच से आए अतिथियों के साथ श्रावक श्राविकाये मौजूद थे।