जो नवकार महामन्त्र की आराधना करता है वो सम्पूर्ण जिनशासन की आराधना कर लेता है- उपप्रवर्तिनी बाल ब्रम्हचारी मालवकिर्ती पू.श्री किर्तीसुधाजी म.सा.

राष्ट्र सन्त आचार्य पूज्य गुरुदेव श्री आनन्द ऋषि जी मसा के 121वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक स्थानक पर 200 श्रावक श्राविकाओं द्वारा 36000 नवकार मन्त्र के जाप एक स्वर में किये गए

रतलाम । नीमचौक स्थानक से जिनशासन प्रभाविका, ज्ञानगंगोत्री, मेवाड़ सौरभ उपप्रवर्तिनी बाल ब्रम्हचारी मालवकिर्ती पू.श्री किर्तीसुधाजी म.सा. ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रभु का दास कभी नही होता उदास। 32 आगमों में सबसे बड़ा आगम भगवती सूत्र के पहले अध्याय का पहला सूत्र नवकार महामन्त्र है।
बाकी सब मन्त्र है लेकिन नवकार को महामन्त्र कहा गया है। जो नवकार महामन्त्र की आराधना करता है वो सम्पूर्ण जिनशासन की आराधना कर लेता है। नवकार महामंत्र के द्वारा सभी उत्कृष्ट आत्माओं को नमन हो जाता है। नवकार महामन्त्र में 14 पूर्व का सार समाया हुआ है ।
14पूर्व का ज्ञान ये वाक्य आपने सुना तो कई बार है लेकिन ये होता क्या है कितना होता है क्या आप जानते है । एक गड्ढा इतना बड़ा हो की उसमें एक हाथी आराम से समा जाए उस गड्ढे के बराबर की जगह में सुखी स्याही ठूंस ठूंस कर भरी जाए, इतनी ठूंस का भरी जाए की चक्रवर्ती की सेना भी उसके ऊपर से निकल जाए तो भी एक कण जितनी और जगह न बन पाए उतनी अधिक स्याही को गीला करके जितना लिखा जा सकता है उतना सब ज्ञान 1 पूर्व के ज्ञान के धारक को होता है। इसी प्रकार 14 बार डबल करते जाओ एक हाथी की जगह 2 हाथी, 2 के डबल 4, 8, 16, 32, 64, 128, 256, 512, 1024, 2048, 4096, 8192 और 16384 उसमें से एक हाथी की जगह कम कर दो अर्थात 16383 हाथी समा जाए उतनी जगह में जितनी सुखी स्याही ठसाठस समा सके उस स्याही को गीली करके जितना लिखा जा सके उतना ज्ञान 14 पूर्व के धारक को होता है।
14 पूर्व धारी आत्मा भी अंतिम समय में नवकार मन्त्र की साधना करती है। हम भी प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत नवकार महामन्त्र से करते है। पूर्ण श्रद्धा के साथ नवकार का स्मरण करने से 500 सागरोपम पाप का धूल जाता है।
आज के वक्त में कोई भी टेंशन मुक्त नही है। फिर भी पुण्यवानी लेकर आए तो अधिक पैसा मिलता है उससे बंगला बना लेते है, और अधिक पैसा मिल जाए तो बढिय़ा फर्नीचर, और अधिक धन हो तो ऐशो आराम के संसाधन औऱ अधिक धन हो तो बंगले के बार चार पाँच कार खड़ी रहती है, फिर आप कहते हो की ये कितना पुण्यशाली है इसके पास 5 कार है । अरे उससे ज्यादा भाग्यशाली तो आप और हम है हमारे पास तो नो कार है मतलब नवकार है । अरिहंत, सिध्द, आचार्य, उपाध्याय, साधु, ज्ञान, दर्शन चारित्र और तप इन 9 कारों को आप अपने ह्दय रूपी गैरेज में रखिये।
मौका आने पर वो कार आपका अहित भी कर सकती है लेकिन ये कार कभी अहित नही करती है, हित ही हित करती है । इस दुनिया में हम अपनी हर वस्तु का बीमा करवाते है, दुकान,गोडाउन, फेक्ट्री, माल, कार और तो और अपने शरीर का भी बीमा करवाते है। और बीमा करवाने के बाद निश्चिन्त हो जाते है। लेकिन क्या कभी आपने अपनी आत्मा का बीमा का करवाया, आत्मा का बीमा करवाने की सोची आत्मा के बारे में निश्चिन्त हुए। वो बीमा करवाने के लिए आपको चक्कर काटने पड़ते है, आफिसर से मिलना पड़ता है धन भी खर्च करना होता है, लेकिन आत्मा के बीमे के लिए आपको गुरु महाराज के पास जाना है। आत्मा का बीमा करवाना बहुत आसान है, अपने जीवन में 9 लाख नवकार के जाप करने वाली आत्मा नरक में नही जाती है, इस प्रकार हम नरक में जाने से बच सकते है। जैसे बीमे के लिये आप किस्तें भरते है, वैसे ही आप ये 9 लाख नवकार के जाप का बीमा भी किश्त भर के पूर्ण कर सकते है। यदि प्रतिदिन 5 नवकार की माला गिनते है तो 5 वर्ष में इस बीमे की किश्त पूरी हो जाएगी। 5 प्रतिदिन नही हो सके तो 2 माला प्रतिदिन करेंगे तो साढ़े बारह वर्ष और 1 माला प्रतिदिन करेंगे तो 25 वर्ष में किश्त पूरी हो जाएगी।
इसलिए आत्मा का यह बीमा अवश्य करवाए और नर्क के द्वार को बंद करना सुनिश्चित करे। क्योंकि संसार की असारता तो कोरोना काल ने सबको अच्छी तरह से समझा दी है, लाखों करोड़ों रुपए पड़े के पड़े रह गए लेकिन जान नही बच पाई, बेटा बाप की अर्थी को और बाप बेटे की अर्थी को कांधा देने के लिए तैयार नही थे। राष्ट्र सन्त पूज्य आचार्य गुरुदेव श्री आनन्द ऋषि जी मसा के 121वें जन्मोत्सव के कार्यक्रम के अंतर्गत आज आप सब ने तल्लीनता से पूरे एक घण्टे नवकार महामन्त्र के जाप किये । आचार्य भगवन 30 वर्षो तक आचार्य पद पर सुशोभित रहे। 60 वर्ष तक लगातार एक वक्त आहार ग्रहण किया। तो क्या हम उनके निमित्त एक दिन एकासन नही कर सकते है। कल आपको अधिक से अधिक संख्या में एकासन करना है । एकासन में रात्रि भोजन का त्याग, कच्चे पानी का त्याग और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन हो जाता है अत: एकासना भी एक अच्छा तप है इसमें आपका पेट भी भर जाएगा और इतने त्याग भी हो जाएंगे। राष्ट्र सन्त आचार्य सम्राट पूज्य गुरुदेव श्री आनन्द ऋषि जी मसा के 121वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आज श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक स्थानक पर जिनशासन प्रभाविका, ज्ञानगंगोत्री, मेवाड़ सौरभ उपप्रवर्तिनी बाल ब्रम्हचारी मालवकिर्ती पू.श्री किर्तीसुधाजी म.सा के सानिध्य में 200 श्रावक श्राविकाओं द्वारा 36000 नवकार मन्त्र के जाप एक स्वर में किये गए ।
पूज्य श्री उपाध्याय प्रवीण ऋषि जी म.सा. को पावन प्रेरणा देने के लिये कोटिश: नमन। हमें गर्व है की हम भी बनने वाले विश्व रिकार्ड में भागीदार बने।