रतलाम। सी.बी. राठौर संघर्ष की चेतना के प्रतीक थे। संगठन द्वारा जनहित में कार्य करते थे। वे वर्ग संघर्ष की बात करते थे। उक्त बात पेंशनर्स एसोसिएशन म.प्र. रतलाम द्वारा पेंशनर्स कार्यालय पर 7 वीं पुण्य स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. रतन चौहान ने कहीं। जरुरत है उनके सांगठनिक कार्यों को मद्देनजर रखते हुए और आगे बढ़ाया जाएं।
पेंशनर्स एसोसिएशन अध्यक्ष कीर्तिकुमार शर्मा ने कहा कि रतलाम में संयुक्त संगठनों की ट्रेड यूनियन, निर्माण मजदूर यूनियन, किसान एकता यूनियन, हम्माल एसोसिएशन, कृषि मंडी कर्मचारी यूनियन, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता यूनियन, आशा कार्यकर्ता यूनियन बनाने में सक्रिय अहम भूमिका रही। लगातार म.प्र. तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, पश्चात पेंशनर्स एसोसिएशन म.प्र. भोपाल की हड़ताल व आंदोलन का नेतृत्व करते हुए कर्मचारियों एवं राज्य पेंशनरों की हक की लड़ाई में आगे रहे थे। एम.एल. नगावत ने कहा कि सी.बी.आर. व्यक्ति नहीं वे ट्रेड यूनियन की चलती फिरती पाठशाला थे। उनका प्रारुप, लेखनी प्रभावशाली होकर वास्तविक मुद्दों को उजागर करती थी। गौरीनंदन शर्मा ने कहा कि सी.बी.आर. बहुआयामी, पर्यायवाची व संगठन के कर्मठ आदर्श व्यक्ति थे। उन्होंने पाठकगणों के लिए स्टडी सर्कल प्रारंभ किया था।
एम.एल. भट्ट, प्रमोद व्होरा, डी.डी. गोठवाल, आर. चव्हाण, सतीश चंद्र दय्या, वैणी माधव द्विवेदी, उच्छबलाल सालवी, सुरेश चंदेले, डॉ. सुरेश शर्मा, व्ही.के. सैनी, ओ.पी. उपाध्याय, रणजीतसिंह राठौर, गीता राठौर, सीमा सुरोलिया, रमा राठौर, संगीत गेहलोत, राजेश्वरी राठौर आदि ने सी.बी. राठौर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी। आभार एम.एल. भट्ट ने किया।