मोहब्बत ही सभी धर्मों का प्राण है -राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जावरा (अभय सुराणा)। मोहब्बत ही सभी धर्मों का प्राण है इसके बिना की गई अजान और आरती भी मुर्दे को श्रंृगार कराने के समान है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ईद के पावन प्रसंग पर हिंदू मुस्लिम एकता के प्रश्न रुको संबोधित करते कहा कि विश्व के सभी महापुरुषों ने उपासना पद्धति अलग अलग होने के बावजूद मोहब्बत को ही धर्म का प्रवेश द्वार बताया है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि नफरत वैर विरोध अपने आप में अधर्म और पाप है धर्म की जाजम पर इन को अपनाने वाला धर्म के नाम पर पाप कमा रहा है नफरत अपनाने वाला ही नास्तिक और काफिऱ होता है राष्ट्रसंत ने कहा कि सब की मंजिल एक है मार्ग अलग अलग है नफरत करने वालों के साथ भी जो मोहब्बत करता है भाई खुदा और भगवान के समीप होता है जैन संत बताया कि वतन से प्रेम करने वाला ही नमक का वफादार बनता हुआ राष्ट्र भक्त बनता है तभी धार्मिक कहलाता है। मुनि कमलेश ने कहा कि उन्माद कट्टरता और भेदभाव फिरका परस्ती का अंत करके अमन चैन और शांति बनाए रखने के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करता है वह पूजा अजान से बढ़कर है।
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