कोई भी बुखार होने पर रक्त की जांच अवश्य कराऐं
रतलाम । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रभाकर ननावरे ने बताया कि मलेरिया माह 1 जून से 30 जून के मध्य मनाया जाएगा। इस संबंध में मलेरिया से बचाव की जागरूकता के लिए मलेरिया रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
इस अवसर पर राज्य कार्यालय के ओआईसी रतलाम डा. विशाल जायसवाल सहित सीएमएचओ तथा जिला मलेरिया अधिकारी डा. प्रमोद प्रजापति एएमओ श्री एन.एस. वसुनिया, श्री राजेन्द्र पालीवाल, एपिडेमियोलाजिस्ट डा. बोरीवाल, श्री लोकेश वैष्णव, डा.चंद्रप्रकाश जोशी, श्री विक्की सिंगला, श्री ओमप्रकाश बावल्चा, श्री आशीष चौरसिया, श्री अनस बेलिम, श्री रईस खान, श्री अशोक पंवार, श्री संदीप विजयवर्गीय, श्री सुरेश रघुवंशी, श्री छगनलाल, श्री संजय, गोरधनलाल, श्री दिनेश खरे, श्री राकेश कुशवाह , श्री थामस वर्गीस, श्री नरेश परदेसी, श्री अनिल परोतिया उपस्थित रहे।
इस संबंध में जिला मलेरिया अधिकारी डा. प्रमोद प्रजापति ने बताया कि मलेरिया मादा एनाफिलिज नामक मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है जिसका कारण प्लाज्मोडियम नामक परजीवी है। इसके सामान्य लक्षण ठंड लगकर बुखार आना, पसीना आना, शरीर में दर्द, हाथ पैर में दर्द आदि हैं। बीमारी से बचाव के लिए मच्छरों के काटने से स्वयं का बचाव करना आवश्यक है। डा. प्रजापति ने मच्छरों की पैदावार रोकने के लिए तथा वाहकजनित रोगों से बचाव के लिए अपील की है कि सभी पानी की टंकियों को ढंककर रखें तथा इनमें मच्छरों का प्रवेश ना होने दें। सभी कंटेनर, कूलर, पक्षी के पानी पीने का बर्तन, फूलदान, गमलों, मनीप्लांट आदि के गमलों को सप्ताह में एक बार अवश्य खाली कर सूखा कर पुन: उपयोग में लें ।
शौचालय की टंकी, मटका आदि की नियमित सफाई की जाए। छत पर रखे सामान, टायर, अनुपयोगी वस्तुओं को नष्ट कर दें या इनमें बरसात का पानी जमा ना होने दें ताकि इनमें एडीज मच्छर के लार्वा की उत्पत्ति रोकी जा सके। नालियों, गटर एवं छत पर जमा पानी की निकासी करें। तथा जमा पानी में केरोसीन या जला आईल डालें। गांव में एवं घरों के आसपास के गडढों को पूर दें ताकि पानी जमा ना हो सके। व्यक्तिगत सुरक्षा हेतु पूरी बांह के कपडे पहने। सायंकाल नीम की पत्ती का धुआं करें तथा मच्छरदानी का उपयोग करें बुखार होने पर तुरंत आशा से संपर्क करें तथा रक्त की जांच कराऐं मलेरिया होने पर पूर्ण उपचार लें, मलेरिया जांच उपचार की सुविधा सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में निःशुल्क उपलब्ध है।