अहिंसा तीर्थ प्रणेता राष्टसंत आचार्य श्री 108 प्रमूखसागरजी महाराज आज धर्म सभा सम्बोधित किया
जावरा (दिवाकर दिप्ती- अभय सुराणा) । पुष्पगिरी प्रणेता गणाचार्य पुष्पदन्त सागर जी महाराज जी की आज्ञानुवत्ती, आत्मीय अहिंसा तीर्थ प्रणेता राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108प्रमुुखसागरजी महाराज ने आज धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आदमी के जीवन का मंगल आचरण ही मंगला चरण है, हम जो भी तन से दुसरो की सेवा करते है ,गलतकार्य नही करते है, मन से दुसरो के बारे में अच्छा सोचते है। बुरा कीसी का नही सोचते ओर बचपन से अच्छे लोगो की प्रशंसा करते है, बुरा बोलने के प्रसंग में मौन हो जाते है यही तो सब मंगला चरण के प्रभाव है,लक्षण है।
संत श्री ने कहा मंगला चरण दो प्रकार का है लौकिक-परलोकिक- किसी भी शुभ कार्य के लिए जा रहे हो और रास्ते में गाय बच्छडे को दूघ पिलाते दिख जावे, नेवला दिख जावे, सुअर, गधा, बाल, कन्या भरा कलश लिए दिख जाये यह सब शुभ है लोकिक मंगल है। आध्यात्मिक परलौकिक मंगल संत का दिखना, मंदिर मुर्ती दिखना, परलोकिक मंगल है। आप प्रात: उठने के बाद सर्व प्रथम दपर्ण में अपना चेहरा देखना यह भी एक मंगल है। धर्म सभा में उपस्थित महावीर मादावत, विजय ओरा, पवन पाटनी ,रितेश जैन, पुखराज सेठी, हिम्मत गंगवाल, पवन कलशघर, नरेन्द गोदा, राजेश कियावत, मनोज बारोड, दिलीप बरैया, सुनील कोठारी, अनिल कोठारी, विजय कोठारी, पारस गंगवाल, आदि उपस्थित थे ।