जोधपुर। विश्व के सभी धर्मों का मुख्य लक्ष्य है मानवीय रिश्तो में परस्पर मिठास खोलना यही धर्म साधना का राजमार्ग हैं। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने आचार्य सम्राट श्री आनंद ऋषि जी की जयंती पर महावीर भवन निमाज की हवेली मैं संबोधित करते कहा कि धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं तोड़ता है वह अधर्म और पाप हैं।
मुनि कमलेश ने स्पष्ट कहा कि धर्म की ओट में नफरत अलगाव फिरका परस्ती और कड़वाहट घोलने का काम करता है वह धर्म और महापुरुषों का शत्रु है ऐसा करने की कोई धर्म इजाजत नहीं देता है ।
राष्ट्रसंत ने कहा कि धार्मिकता और कट्टरता में 36 का आंकड़ा है कट्टरता क्रूरता और हिंसा की जननी है मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना ।
जैन संत ने कहा कि सैकड़ों पंथ और संप्रदाय हैं यदि सभी कट्टरता का नारा देंगे तो मानवता के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ जाएगी कट्टरपंथी संत भी अलकायदा और तालिबान से कम नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी धर्म द्रोही और देशद्रोही भी हैं उनका कोई मजहब और जाति नहीं होती है अलगाववादी तत्वों के खिलाफ हमें संगठित होकर मोर्चा खोलना होगा तभी धार्मिक कहलाने के अधिकारी बनेंगे अक्षत मनी अरिहंत मुनि घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया सभी ने राष्ट्रीय एकता की शपथ ली ।