जावरा (अभय सुराणा)। जावरा पिपली बाजार जैन उपाश्रय में प्रवचन देते हुवे सूरी ऋषभ कृपा प्राप्त मुनीराज श्री पुष्पेंद्र विजय जी म सा ने कहा कि जीवन पूण्य से चलता है , ओर पूण्य का भंडार धर्म आरधना से परिपूर्ण हित है।अगर मेहनत से लक्ष्मी मिलती हो तो आज सबसे ज्यादा मजदूरों के ओएस होती,आफिस में बैठे रहने वालों के पास नही तो कुछ जीवन के पल धर्म साधना के लिए निकालना चाहिए। धर्म हमे भय मुक्त भी करता है, आज मानव को सबसे ज्यादा चिंता और भय परिवार के पालन की भी है ओर कही उसे कोई रोग ना आ जाये ,मुझे कोई लूट ना ले ,मुझे कोई अकस्मात दुख ना जाये आदि, कई चिंता होती है।पर इससे मुक्त एक मात्र हमे प्रभु स्मरण से मिला भाग्य ही करा सकता है। मुनि श्री जनकचंद्र विजय जी म सा से धर्मसभा में कहा कि संसार मधु बिंद के रास के समान है ओर उसकी रसना ने इतना मशगूल बन जाता है कि वह मधु मख्खी के डंक को भी भुला जाता है, संसार भी हमे किसी ना किसी प्रकार का सबक देता है पर हम परीवर्तित नही होते। श्री संघ जावरा सहमंत्री श्री राजेश वरमेचा, आतिश ओरा, अंतिम लुक्कड़ ने बताया कि प्रति वर्षानुसार इस वर्ष मुनि भगवंतों की पावनकारी निश्रा में दिनांक23 जुलाई से नमस्कार महामंत्र आरधना प्रारम्भ हो रहे है।जिसमे आराधक 9 दिवस तक नवकार महामंत्र का जाप कर कॅरोना वायरस से देश इर दुनिया को मुक्ति मिल इस भावना से प्रार्थना करेंगे।इसमे आराधक 9 दिन तक एकासना करेंगे। प्रति वर्ष एकासना श्री संघ द्वारा सामूहिक रुप से कराए जाते थे पर इस वर्ष कॅरोना की वजह से आराधक एकासना अपने निज निवास पर ही करेंगे।