सभी स्त्रियों को मां, बहन, बेटी के समान ही समझना होगा तभी रक्षाबंधन बनाना सार्थक होगा

अहिंसा तीर्थ प्रणेता राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108 प्रमूख सागरजी महाराज के सानिध्य में जैन मांगलिक भवन में आज रक्षाबंधन पर्व मनाया गया


जावरा (अभय सुराणा)। आचार्य श्री के मुखारबिंद से कहा गया आज रक्षाबंधन का पर्व है। आज के दिन अकम्पनाचार्य आदि 700 मुनिराज का उपसर्ग दूर हुआ था इसलिए जैन संप्रदाय में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है महाभारत का दृष्टांत सभी को याद है द्रोपदी ने नारायण श्री कृष्ण के हाथ पर उंगली में चोट लगने पर अपनी साड़ी का पल्लू बांध दिया था वह साड़ी का पल्लू नारायण श्री कृष्ण ने धागे के रूप में स्वीकार किया तो जब द्रोपति का चीरहरण हुआ तब नारायण श्री कृष्ण उनके चीर को बढ़ाते चले गए यह धागे का बहुत बड़ा फल नारायण श्री कृष्ण ने दिया ऐसा ही जिनागम कहता है ।
सिकंदर जब भारत में युद्ध करने आया तो पोरस राजा की पत्नी ने एक धागा सिकंदर को बांध दिया सभी सिकंदर ने पोरस राजा को स्वतंत्र कर दिया यही हमारी भारतीय संस्कृति हे । रक्षाबंधन का पर्व बहुत पवित्र और पावन है आज के दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है वह इतनी ही भावना भाती है कि मेरे भाई का चरित्र बहुत ऊंचा हो वह मेरे भाई का आचरण बहुत ऊंचा हुए और आज के दिन बहने अपने भाई से एक संकल्प लेती है अपनी पत्नी को छोड़कर सभी को सभी स्त्रियों को मां बहन बेटी के समान ही समझना सभी रक्षाबंधन बनाना सार्थक होगा आज बहुत से श्रावक साधु की पीच्छी का पर राखी बांधकर यह संकल्प करते हैं कि आज से हम गुरु व धर्म की रक्षा करेंगे और गुरु भी आशीर्वाद स्वरुप उन्हें एक धागा देता है इसलिए कि वह आप की भी सुरक्षा करेंगे। आज देश में हमारे डॉक्टरों की सैनिकों की सिपाहियों की सुरक्षा की बहुत बड़ी जिम्मेदारी हम सब की है हम सब लोग भी आज उन सैनिकों के लिए सिपाहियों के लिए डॉक्टर्स के लिए जो आज कोरोना से पीड़ित सभी लोगों की रक्षा कर रहे हैं हम भगवान से उनके लिए प्रार्थना करें उनकी रक्षा का संकल्प ले।
आज क्षुल्लक परमात्म सागर जी को ऐलक दीक्षा देकर ऐलक परमात्म सागर जी बनाया ।इस अवसर पर स्वर्ण राखी श्री विजय ओरा, साधना बहन,आकांक्षा रोशनबाई ओरा परिवार, चांदी की राखी विनोदी लाल जी जितेंद कुमार जी दोषी परिवार और नवरत्न की राखी अजित कुमार जी कल्सधर परिवार ने बांधकर रक्षा का संकल्प किया।श्रेयांसनाथ भगवान के निर्वाण लाडू का लाभ रोशन बाई विजय ओरा और अखण्ड जोत की लाभ विनोदिलाल जी जितेंद जी दोषी परिवार ने लिया।
अहिंसा तीर्थ क्षेत्र की सबसे बड़ी पारसनाथ भगवान की मूर्ति का सौभाग्य जितेंद्र ओरा, राजेश कोठारी परिवार, मानस्तंभ की प्रतिमा का लाभ अजित कुमार आशीष कलशधर, राजेश आकर्ष ओरा,व अनिल कोठारी परिवार ने लिया। यह जानकारी चातुर्मास समिति के प्रवक्ता रितेश जैन ने दी।