नवकार के आराधक थे गुरु हेमेंद्र सूरी- मुनि पुष्पेंद्र विजय

जावरा (अभय सुराणा) । पिपली बाजार जैन उपाश्रय में चतुर्मासार्थ विराजित प.पु. आचार्य ऋषभचंद्र सूरिजी के आज्ञानुवर्ती मुनीराज श्री पुष्पेंद्र विजय जी मसा की निश्रा में  सौधर्म वृहत तपागच्छीय श्री संघ के षष्ठम पट्टधर नित्य नवकार आराधक,वचन सिद्ध, गुरुदेव श्री हेमेंद्र सूरीश्वर जी म सा के 10 वी पूण्य तिथि भक्तिमय मनाई गई। पूज्य गुरुदेव का सभा में पूज्य मुनि भगवंत ने उनके गुणों का सुमिरन करते हुए उनका गुणानुवाद किया। जिस में  उन्होंने कहा कि आचार्य भगवंत शुद्ध चरित्र पालक,एवं वेयावच्च गुण के धनी थे एवं सरल स्वभावी, आत्मनन्दी संत थे। उन्होंने अपने जीवन के 92 वर्ष  उम्र में 9 करोड़ नवकार मंत्र के जाप किये ओर नवकार के परम उपासक बने, पूज्य आचार्य भगवंत वचन सिद्ध महापुरुष थे । उनके मुख से निकले वचन सत्य प्रतिपादित होते थे।जावरा नगर में आचार्य भगवंत ने आचार्य पदवी के पश्चात प्रथम ऐतिहासिक चातुर्मास किया था।
आगे मुनि जनकचंद्र विजय जी म सा ने कहा कि आचार्य श्री दिव्य दृष्टि के धनी थे उनकी नजर जिस पर पड़ जाती वह निहाल हो जाता था।इस अवसर पर मुनि जिनभद्र विजय जी के साथ श्री संघ अध्यक्ष ज्ञानचंद चोपड़ा, कोषाध्यक्ष विनोद वरमेचा, अशोक लुक्कड़,अनिल चोपड़ा, राजेश वरमेचा, मयूर ओरा,समाज रत्न मोतीलाल चपडोद, विभोर जैन, सुभाष डूंगरवाल, विजय लोढ़ा, विनोद सेठिया आदि महानुभाव ने पूज्य गुरुदेव को श्रद्धा सुमन अर्पित कर 12-12 नवकार के जाप किए ।
उक्त जानकारी देते हुवे  संगठन मंत्री माणक चपडोद एवं अंकित लुक्कड़ ने बताया के पूज्य गुरुदेव की जावरा नगर पर विशेष कृपा रही है, गुरुदेव ने जावरा में 1984 एवं 2005 में दो यशस्वी ऐतेहासिक चातुर्मास किये है जिसकी स्मृति आज भी श्रीसंघ के मानसपटल पर अंकित है