जोधपुर । धर्म उपासना करते हुवे भी अंतर्मन में धर्म के नाम पर विषमता के भाव उत्पन्न होते हैं परस्पर राग द्वेष निर्मित होता है वह धर्म भी पाप में बदल जाता है । उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने पर्यूषण पर्व के पांचवे दिन केस लोच प्रसंग पर व्यक्त करते हुए कहा कि समत्व योग की साधना पर चल कर ही अपनी मंजिल को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी महापुरुषों ने सम भाव को ही धर्म की नींव के के रुप में बताया है जहां समभाव की धारा खंडित हुई उल्टी गिनती चालू हो जाएगी मुनि कमलेश ने कहा कि विषमता कुंठा पैदा करती है जिसमें प्रेम सद्भाव करुणा जो कि धर्म के असली प्राण हैं यह सब नष्ट हो जाते हैं । राष्ट्र संत ने कहा कि विषमता जहर से भी खतरनाक है ज़हर पर एक जन्म में मारता है परंतु विषमता जन्म जन्मांतर में भटकाती है मोक्ष का कट्टर दुश्मन है । जैन संत ने कहा कि समभाव के रास्ते पर चलकर परमात्मा का साक्षात्कार किया जा सकता है विषमता अनु बम परमाणु बम से भी खतरनाक है पूरे विश्व को स्वाहा कर सकती है । राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश का सबके सामने केस लोच हुआ सभी भक्तों ने विषमता छोड़कर सद्भाव में रमण करने का संकल्प लिया कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया अक्षत मुनि ने विचार व्यक्त किए ।