धर्म श्रद्धा से बने सुखकार- शासन दीपक आदित्य मुनी

रतलाम। पर्वाधिराज पर्यूषण महापर्व के छठे दिन राम महिमा महोत्सव चातुर्मास के अंतर्गत आचार्य श्री रामलाल जी म सा के आज्ञानुवर्ती शासन दीपक आदित्य मुनि म सा अपने प्रवचन में फरमाया कि बिना श्रद्धा के तो भक्ति को जागृत नहीं कर सकते प्रभु से मिलन नहीं हो सकता ईश्वर को, देवों को, खुश नहीं कर सकते गुरु का दिल जीत नहीं सकते, परमात्मा तक अपनी आवाज पहुंचा नहीं सकते, माता-पिता को अपने भाव समझा नहीं सकते, और परिवार में खुशियां ला नहीं सकते, क्योंकि यह सब चीज श्रद्धा से जुड़ी हुई है आपकी श्रद्धा ईश्वर के प्रति गुरु के प्रति माता-पिता परिवार आदि के प्रति अगर सच्चे मन से है तो वह खुद ही अपना परिणाम दर्शाएगी सच्ची श्रद्धा मैं कभी ईगो नहीं होता वह अहंकार को दूर रखकर दिमाग से नहीं दिल से निकलने वाली भावों की अभिव्यक्ति होती है इसके बहुत सारे उदाहरण है चाहे मीरा की बात करें ,मित्रता में सुदामा को देखें, मातृत्व में श्रवण को देखें ,स्वामित्व में श्री हनुमान को भावे, ऐसे कई भक्त इस भारतवर्ष की धरती पर जन्में जिन्होंने सिर्फ रिश्तो से ,व्यक्तियों से ,प्रेम कर उन पर ही अपनी श्रद्धा भाव नहीं दिखाई अपितु राष्ट्र के प्रति भी समर्पण दिखाई धरती माता, जननी जन्मभूमि ,के प्रति भी कई श्रद्धालु श्रद्धावन हुए वह तीर्थंकर ,गुरु भक्त , राष्ट्रभक्त, सपूत आदि हुऐ जिन्होंने अपनी श्रद्धा से अपने लगाव के क्षेत्र में विजय प्राप्त की और आज हम सभी के समक्ष आदर्श के रूप में स्थापित हैं अगर हमारी श्रद्धा अटूट होती है तो असंभव को भी संभव बना देती है इसलिए हमारी श्रद्धा को हम धर्म की राह पर ले जाएं जिससे हम हर वक्त सकारात्मक जीवन की ओर अपना जीवन व्यापित करें। श्री अटल मुनि महाराज साहब ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया श्रीरीजूप्रज्ञ जी महाराज साहब ने आचार्य श्री जवाहरलाल जी महाराज साहब व श्री गणेशी लाल जी महाराज साहब के जीवन के बारे में श्रावक श्राविकाओ को बताया उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उस समय दोनों जवाहर की तारीफ की थी कि जवाहरलाल नेहरू बाहर रहते हुए कार्य कर रहे हैं उसी तरह आचार्य जवाहरलाल जी महाराज साहब देश में सभी जनसभा के अंतर शांति और प्रेम का संदेश देकर देश की आंतरिक व्यवस्था को संभाले हुए हैं। उपरोक्त जानकारी देते हुए संघ के प्रीतेश गादिया ने बताया कि इस अवसर पर साधुमार्गी जैन संघ के अध्यक्ष सुदर्शन पीरोदिया दशरथ बाफना पंकज मूणत आदि ने अपने भाव रखें।