भव्यता से नहीं भावना से खुश होते भगवान

रतलाम । चकाचौंध और दिखावे की भक्ति पूजा की अपेक्षा ईश्वर का भावना से स्मरण करना चाहिए । ईश्वर के प्रति आप की आराधना निस्वार्थ निर्मल और सहज भाव से होना चाहिए । भगवान भव्यता से नहीं भावना से प्रसन्न होते हैं, सच्ची श्रद्धा और भक्ति को दिखावे की आवश्यकता नहीं पड़ती ।उक्त उदगार गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर लायंस ऑफ रतलाम द्वारा लायंस हॉल में स्थापित गणपति स्थापना के अवसर पर पूजा अर्चना एवं हवन इत्यादि आरती कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने कहे।ज्ञात हो कि विगत कई वर्षों से लायंस क्लब के पांचों क्लबों द्वारा सामूहिक रूप से गणेश स्थापना कर प्रतिदिन 10 दिवसीय आरती एवं सांस्कृतिक सामाजिक चेतना से प्रेरित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । कोरोना महामारी को दृष्टिगत रखते हुए इस बार उक्त आयोजन सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य सावधानियों के साथ पूरे उत्साह और जोश के साथ लायन साल में मनाया जावेगा । कार्यक्रम सूत्रधार डॉ. सुलोचना शर्मा, कार्यक्रम संयोजक निरज सुरोलिया ने कहा कि भगवान की भक्ति करने के लिए हमें दिखावे की नहीं बल्कि भावना की जरूरत है हमारी आस्था पूर्ण रूप से ईश्वर के प्रति समर्पित होनी चाहिए । भक्ति का उत्सव बिना तामझाम और भव्यता के भी हो सकता है । झोन चेयर पर्सन गोपाल जोशी ने कहा कि हमारा प्रयास परंपरा का नियमित पालन हो गणेश उत्सव हमको आपस में जुड़ने की प्रेरणा देता है शिक्षक सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि त्योहारों की गरिमा और महत्ता हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए अत्यंत आवश्यक है धर्म ज्ञान और हमारी आस्थाओं का मूल्य उन्हें समझाना आवश्यक है। इस अवसर पर लायंस क्लब के अध्यक्ष सनेहा सचदेव बीके माहेश्वरी, लायंस क्लब गोल्ड के अध्यक्ष श्रीमती कल्पना राजपुरोहित, आरती त्रिवेदी, दिनेश कुमार पंडित, दशरथ उपाध्याय, मीनू माथुर आदि उपस्थित थे।