आसक्ति की बेडिय़ों में जकड़ा हुआ ज्ञानी और विद्वान भी अंधा बनकर विवेक शून्य हो जाता है – राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । सभी दुख अशांति और तनाव का मूल कारण वस्तु के पीछे रही हुई आसक्ति हे जो आत्मा को दुर्गति का मेहमान बनाती है शरीर को रोगों का शिकार करती है और संस्कारों की होली जलाती है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने आचार्य सम्राट आत्माराम जी की 136 वी जयंती पर महावीर भवन निमाज की हवेली में संबोधित करते कहा कि महापुरुषों ने देहासक्ति तक को भी साधना का बाधक तत्व माना है । उन्होंने कहा कि आसक्ति की बेडिय़ों में जकड़ा हुआ ज्ञानी और विद्वान भी अंधा बनकर विवेक शून्य हो जाता है मुनि कमलेश के बताए कि विश्व के सभी धर्मों ने आसक्ति को अनर्थ की खान बताया इससे मुक्ति पाए बिना आध्यात्मिकता में प्रवेश असंभव है । राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि आसक्ति से बड़ा हमारा और कोई शत्रु दुनिया में नहीं हो सकता आसक्ति विजेता विश्व विजेता से बढ़कर होता है वही सच्चा ज्ञानी संत और तपस्वी है । जैन संत ने बताया कि आत्मा की अमरता और देह की नश्वरता का भेद ज्ञान पर चिंतन मनन करने पर ही आसक्ति से मुक्ति पाई जा सकती है । अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं फतेहपुर के सरपंच श्री जगन्नाथ जी डागलिया वीरवाल जैन ने आत्म जयंती पर मुनि कमलेश की प्रेरणा से श्री वा के राव गुरु कमल गोशाला खोलने का संकल्प लिया कार्तिक पूर्णिमा तक पूरी करके उस के शुभारंभ पर पधारने की राष्ट्रसंत विनती की श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ जोधपुर की ओर से उनका शाल माला से स्वागत किया गया अरिहंत मुनि कौशल मुनि ने गीत प्रस्तुत किया घनश्याम मनी अक्षत मुनि ने विचार व्यक्त किए । संथारा ग्रहण कर मानव जीवन सार्थक किया: सुकन मुनिभीलवाड़ा अहिंसा भवन में रविवार दोपहर संथारा साधिका साध्वी चरण प्रज्ञा के 14वें पुण्य स्मृति दिवस पर प्रवर्तक सुकन मुनि ने श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कहा कि जीवन अंतिम लक्ष्य है। संथारा साध्वी चरण प्रज्ञा ने संथारा ग्रहण कर मानव जीवन सार्थक किया और कर्मों की निर्जरा कर आत्मा को पवित्र बनाया। 84 दिन संथारा ग्रहण करने के बाद जीवन के अंतिम लक्ष्य मृत्यु को प्राप्त कर मानव जीवन सार्थक बनाया। अमृत मुनि, महेश मुनि, मुकेश मुनि ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर अहिंसा भवन के संरक्षक हेमन्त आचंलिया, अध्यक्ष अशोक पोखरणा, रिखबचंद पीपड़ा, पूर्व सभापति मंजू पोखरणा, महिला जैन कांफ्रेंस अध्यक्षा पुष्पा गौखरू, संजुलता बाबेल आदि पदाधिकारियों द्वारा साध्वी चरण प्रज्ञा के गुणगान कर श्रद्धांजलि अप्रित की गई।