रतलाम, 29 सितंबर 2023। मानव भव में कई लोग एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हुए है। हर कोई अपना बढ़पन दिखाने में लगा है तो कई लोग सिर्फ निंदा करने का काम ही करते है लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योकि निंदा करना तो पाप है लेकिन निंदा को सुनना महापाप कहलाता है। इस लिए हमें ऐसे लोगों से बचना चाहिए।
यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टाॅकीज में प्रवचन में कही। मुनिराज ने कहा कि यदि अपना बढ़पपन दिखाना है तो दूसरे को नीचा दिखाना बंद करना होगा। किसी के पुण्य और गुण को पसंद करो, ईष्या के भाव से निंदा मत करो। हम सब एक ही जहाज में बैठे यात्री है, इस बात का ध्यान रखना चाहिए, बस कोई थोड़ा आगे तो कोई थोड़ा पीछे है।
मुनिराज ने कहा कि हमे निंदा का त्याग करना है। निंदा का दूसरा कारण ईष्या है। ईष्या दो चीज- पुण्य वैभव और गुण वैभव देखने से होती है। किसी के पुण्य को भी कई बार लोग देख नहीं सकते है, उसके लिए गलत बात कहते है। पुण्य और गुण दोनों की निंदा करते है। ऐसा नहीं करना चाहिए। यदि आप आराधना न करो तो आराधक की निंदा भी मत करो। ऐसा करने से कई तरह के कष्ट भोगने पड़ते है। ईष्या करने से आपका सुख भी खत्म हो जाता है और दुख मिलता है।
एक साथ 1008 समूह सामायिक रविवार को
आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की साधना के बल निमित्त 1 अक्टूबर, रविवार को आचार्य श्री के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. की निश्रा में सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में एक साथ 1008 समूह सामायिक का आयोजन होगा। उक्त कार्यक्रम सुबह 9.15 से 10.45 बजे तक होगा। श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी ने श्रावक-श्राविकाओं से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित रहकर धर्म लाभ लेने का आव्हान किया है।