जावरा (अभय सुराणा)। अहमदाबाद में अपना बायपास की सर्जरी करवाने गए जैन रत्न उपाधि से अलंकृत 84 वर्षीय ज्ञानचंद चोपड़ा कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए । गत दिवस उन्हें अहमदाबाद से रतलाम लाते वक्त रास्ते देवलोकगमन हो गया । रतलाम में कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया। जैन रत्न श्री चौपड़ा के देवलोकगमन होने से रतलाम जिले में जैन समाज में शौक लहर है।
उल्लेखनीय है स्व. ज्ञानचंद चौपड़ा ने अपना पूरा जीवन जैन धर्म और समाजसेवा के कार्यों में व्यतित किया है। वे वर्तमान समय में श्री त्रिस्तुतिक श्रीसंघ अध्यक्ष और मप्र त्रिस्तुतिक श्रीसंघ कोषाध्यक्ष थे। श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्टी, आदिनाथ सुपार्श्वनाथ सकल संघ के ट्रस्टी समेत कई प्रमुख पदों पर रहते हुए सदैव समाजसेवा, जैन धर्म के प्रति समर्पित रहे। आपकी समाजसेवी से प्रभावित होकर एक पूर्व आचार्य श्री विजय ऋषभचंद सूरीश्वरजी ने उन्हें जैन रत्न की उपाधि से अलंकृत किया था। स्व. श्री चौपड़ा पांच जैन आचार्यों के सानिध्य में सेवा कार्य किए। स्व. श्री जैन के निधन पर जैन आचार्यश्री, साधु-साध्यिवों मंडल सहित रतलाम जिले की विभिन्न सामाजिक संगठनों, जैन समाज के विभिन्न संगठनो ने श्री चौपड़ा के दुखद निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।
आचार्यश्री ने भेजा संदेश – हमने अनमोल रत्न खो दिया
दादा गुरुदेव के प्रति अनन्य आस्थावान, धर्मनिष्ठ व गुरुगच्छ के प्रति समर्पित श्रावक ज्ञानचंद चोपड़ा का निधन श्रीसंघ की अपूरणीय क्षति है। जैन धर्म व गुरुगच्छ की प्रभावना एवं सेवा समर्पण के लिए आपको मोहनखेड़ा में 2019 में जैन रत्न से अलंकृत किया था। निधन से आचार्यश्री राजेंद्र सूरीश्वरजी की गुरुगादी को समर्पित अनमोल रत्न खो दिया है। उनके मेरे निकट संबंध रहे। ये निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। दु:ख की घड़ी में मेरी संवेदना परिवार के साथ है।
आचार्य विजय ऋषभचंद्र सूरि, मोहनखेड़ा तीर्थ