जोधपुर। अक्षर ज्ञान के बिना आध्यात्मिक ज्ञान के ग्रंथ भी काले अक्षर भैंस के बराबर साबित होंगे। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर महावीर भवन निमाज की हवेली में संबोधित करते कहा कि 21वीं सदी की विकास की दुहाई देने वाली सरकारों की नाक के नीचे कई जनता को अक्षर ज्ञान भी ना होना शर्मनाक घटना है। उन्होंने कहा कि एक अक्षर का ज्ञान किसी को देना तीन लोक की संपत्ति से बड़े दान के समान है अक्षर ज्ञान हमारा तीसरा नेत्र है । मुनि कमलेश ने कहा कि सभी धर्म स्थलों को धर्माचार्य मिलकर साक्षरता केंद्र के रूप में विकसित करें साक्षरता व्यक्ति को स्वावलंबी बनाती है । राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि साक्षरता न होना सबसे बड़ा अभिशाप है राजस्थान के अंदर ग्रामीण अंचलों में अक्षर ज्ञान की अलग देश की आजादी के सामान चलाना होगा । जैन संत ने कहा कि साक्षरता के अभाव में सभी विकास के दावे खोखले सिद्ध होंगे धार्मिक सामाजिक आध्यात्मिक सभी के विकास का मूल ही साक्षरता है । समारोह की अध्यक्षता अखिल भारतीय जैन दिवाकर मंच के प्रमुख ललिता मोहनलाल तलेसरा मुख्य अतिथि संगीता दीपक भंडारी रहे श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से उनका सम्मान किया गया कौशल मुनि अक्षत मुनि ने विचार व्यक्त किए घनश्याम मुनि ने मंगलाचरण किया ।