इस माटी के सहयोग के बिना जीने तक की कल्पना नहीं की सकती-राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । इसी माटी से मंदिर मस्जिद बने हैं इसी पर खड़े होकर महापुरुष ने साधना की है यहां तक कि शरीर का निर्माण भी इसी माटी से हुआ है धर्म और महापुरुषों से बढ़कर माटी है । उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने महावीर भवन निमाज की हवेली में धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि इस माटी के सहयोग के बिना जीने तक की कल्पना नहीं की सकती।
मुनि कमलेश ने कहा कि पशु जिसका अन्न लेता है उसकी रक्षा के लिए वफादार बनता हुआ अपने प्राणों तक को न्योछावर कर देता है इंसान क्या इससे थोड़ा सबक लेगा। राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि मजहब से बढ़कर माटी है नमक हलाल बनो नमक हराम नहीं नमक हराम धार्मिक नहीं हो सकता। जैन संत ने बताया कि मानव जितना मंदिर मस्जिद से प्यार करता है उतना ही धरती के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है कुरान में भी लिखा है मां के चरणों में जन्नत है वह मैं भी इसी धरती पर खड़ी है अतः उसे बड़ी है। उन्होंने कहा कि जाति पंथ के नाम पर आपस में लड़ने वाले धरती मां के गद्दार हैं हिंसा भ्रष्टाचार मिलावट और व्यसनों में लीन व्यक्ति धरती मां का कपूत है घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए अक्षत मुनि ने मंगलाचरण किया।