पति वियोग और ऊपर से विधवा शब्द से उपेक्षित करना जख्म पर नमक छिड़कने के समान है- राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर। विधवा शब्द अपने आप में अभिशाप है और नारी जाति का घोर अपमान है किसी भी महापुरुष ने विधवा शब्द का प्रयोग करने की इजाजत नहीं दी । उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने नवरात्रि पर्व साधना पर महावीर भवन निमाज की हवेली ने संबोधित करते कहा कि पति वियोग ऊपर से उपेक्षित करना जख्म पर नमक छिड़कने के समान है
उन्होंने कहा कि आयुष्य किसी के हाथ में नहीं है कोई दो दिन पहले कोई दो दिन बाद संसार से जाना ही पड़ेगा ।
मुनि कमलेश ने कहा कि पति वियोग के बाद उसको किस बात की सजा दी जा रही है क्या उसको पति प्यारा नहीं था क्या उसने गला दबाकर मारा उसकी उपेक्षा साक्षात धर्म का अपमान करने के समान है ।
राष्ट्रसंत ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए आज सभा में विधवा बहन को सम्मानित करते हुए महा मंडित किया गया और संकल्प दिलाया कि मंगल काम मैं उनको पहले आगे रखा जाए । जैन संत ने कहा कि विधवा शब्द इतिहास के कलंक से हटाना उसे वीरांगना के नाम से पुकारना हमारी प्राथमिकता है । अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच दिल्ली 18 राज्यों में अभियान को शुरू कर रहा है घनश्याम मुनि कौशल मुनि ने विचार व्यक्त किए ।