व्यक्ति की पहचान महानता,धन, वैभव, पद, प्रतिष्ठा से नहीं उसके अंदर रहे हुए संस्कारों से होती है – राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । व्यक्ति की पहचान महानता,धन, वैभव, पद, प्रतिष्ठा से नहीं उसके अंदर रहे हुए संस्कारों से होती है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश दीपावली पर्व पर 300 परिवारों को संचेती ट्रस्ट द्वारा सेवा कार्यों को संबोधित करते कहा कि मानव सेवा ही माधव सेवा करने के समान है । उन्होंने कहा कि किसी को खिलाने के बाद खाना यह देव संस्कृति वह सच्चा धार्मिक और भगवान के नजदीक होता है । जैन संत ने कहा कि बिना अधिकार का छीन कर खाना राक्षसी लक्षण है और उसे धार्मिक तो क्या इंसान कहलाने का अधिकार भी नहीं है । मुनि कमलेश ने कहा कि किसी की परवाह किए बिना अकेला खाना विकृति है धार्मिकता के लक्षण।
राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि निस्वार्थ भाव से प्राणी मात्र के प्रति संवेदनाओं से ओतप्रोत होकर अभय गेस्ट को परमात्मा समझकर सेवा करना चारों तीर्थों की यात्रा से बढ़कर है जैन दिवाकर गुरुदेव चौथमल जी महाराज के परम भक्त संचेती परिवार जैन समाज के सामान्य परिवारों के लिए शिक्षा चिकित्सा सेवा हेतु जन सहयोग से करीब एक करोड़ की राशि खर्च करता है अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार में से नई दिल्ली की ओर से उनका स्वागत किया गया अरिहंत मुनि कौशल मुनि ने विचार व्यक्त किए घनश्याम मुनिजी ने मंगलाचरण किया।