मिच्छामी दुखड़म् में इतनी ताकत है कि इससे कैवल्य ज्ञान भी प्राप्त किया जा सकता है- प. पु. साध्वी श्री अनंत गुणा श्रीजी म.सा.

रतलाम । सौ.वृ.त. श्री राजेंद्र सूरी त्रिस्तुतिक जैन श्वेतांबर श्री संघ एवं चातुर्मास समिति द्वारा नीम वाला उपाश्रय खेरादी वास में रतलाम नंदन प. पू .श्री 1008 जैन मंदिर के प्रेरणादाता, राष्ट्र संत कोकण केसरी गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेन्द्र सूरीश्वर जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती एवं मालवमणि पूज्य साध्वी जी श्री स्वयं प्रभा श्री जी म.सा. की सुशिष्य रतलाम कुल दीपिका शासन ज्योति साध्वी जी श्री अनंत गुणा श्रीजी म.सा,श्री अक्षयगुणा श्रीजी म.सा. श्री समकित गुणा श्री जी म.सा. श्री भावित गुणा श्री जी म.सा. उपासना में विराजे हैं जिनका चातुर्मास में नित्य प्रवचन चल रहे हैं इसी तारतम्य में 6 अगस्त शुक्रवार को साध्वी श्री अनंत गुना श्री जी मसा. ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज पर्युषण पर्व का सातवां दिन है कल पर्युषण पर्व का आठवां दिन रहेगा। यह 7 दिन की साधना है वह आठवें दिन सिद्धि को प्राप्त कर सकते है। उसके लिए आपको जीवन में सरल होना पड़ेगा,नम्र होना पड़ेगा, झुकना पड़ेगा।आप जिसको भी मिच्छामि दुक्कडम दो उसके बाद में उससे झगड़ा नहीं करना है राग, द्वेष, कषाय नहीं रखना है। तो यह दोषो समाप्त हो जाएंगे तो आत्मा स्वाभाविक रूप से निर्मल हो जाएगी और सब कुछ प्राप्त कर लेगी और आपने अगर इन दोषो को समाप्त नहीं किया तो आप अनंतानुबंधी कषाय में चले जाओगे और वहां से निकलना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि बदले की भावना आप में बहुत ज्यादा हो जाएगी। जिससे आपका भव पार नहीं हो पाएगा। महावीर स्वामी को भी भव का पार करने में कई जन्म लगे। जिस भी आपका लड़ाई झगड़ा हुआ है उसको अपने कटु वचन बोले हैं तो सबसे पहले उन्हें जाकर मिच्छामि दुक्कडम देना है। जो बैर रखता है उसका भव बिगड़ जाता है सुधरता नहीं है। बैर,जहर की गांठ लेकर प्रतिक्रमण,साधना, आराधना,पूजा कर लो तो भी सफल नहीं होंगे।जिससे कई सालों से नहीं बोला और मेरी गलती है तो भी मिच्छामि दुखडम् मांग लो और गलती नहीं हो तो भी उसे मिच्छामी दुक्कड़म मांग लो,चरणों में गिर जाओ और भव पार कर लोगे।ज्ञानीजन कहते हैं क्रोध को दबाओ यह अग्नि है जो व्यक्ति कषाय और क्रोध को नहीं रखता है तो वह जीवन में सब कुछ प्राप्त कर सकता है।
आजकल नई फैशन चल गई है फैंसी ड्रेस कंपटीशन होता है उसमें साधु, साध्वी भगवंत आप बच्चों को बनाते हो और यह महान पाप कर लेते हो। अपने बच्चे बच्चियों को साधु का वेश मत पहनाओ। यह महावीर का चोला है। इससे कर्म बंधन कर लेते हो और जरा सोचो इन कर्मों के लिए क्या प्रायश्चित करना पड़ेगा और कैसे कर्मों की निर्जरा होगी। अगर जीवन में नम्र बनोगे तो कैवल्य ज्ञान भी प्राप्त हो सकता है मिच्छामि दुक्कडम में इतनी ताकत होती है कि इससे आपको कैवल्य ज्ञान भी प्राप्त हो सकता है उक्त विचार व्यक्त किये।
कल कल्प सूत्र का सार बारह सौ सूत्र का ढाई घंटे में विवेचन किया जाएगा।जिससे भव पर कर सकते हो। किसी समय संवत्सरी का एक दिन पर्युषण होता था धीरे-धीरे यह आठ दिन का हो गया कल 8:30 बजे से प्रारंभ होगा जो ज्ञान की साधना करते हैं उन्हें जीवन में धन,सुख,समृद्धि,ऐश्वर्य सब कुछ मिलता है और जो ज्ञान और असाधना करते हैं उनके कर्म बंधन होते हैं ना उनको सुनाई देता है ना उनको दिखाई देता है ना कुछ समझ में आता है उनकी स्थिति तिरयंच जैसी हो जाती है।सौ. वृ.त. त्रीस्तुतिक जैन श्री संघ एवं राज अनंत चातुर्मास समिति, रतलाम के तत्वाधान में बड़ी संख्या में श्रावक, श्राविकाए व समाज जन उपस्थित थे।