गलत साबित हो रहा है न्यूरो साइंस का मंतव्य – गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर जी म.सा.

रतलाम । आचार्य श्री नयचंद्र सागर सुरीश्वरजी म.सा. एवं गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर जी म.सा. की निश्रा में रतलाम में चातुर्मासिक प्रवचन चल रहे है। इसी कड़ी में अब उनके शिष्य चंद्रप्रभ चंद्र सागरजी म.सा. महा शतावधान कर रहे हैं। सामान्य तौर पर साइंस या न्यूरो साइंस चमत्कार को नहीं मानते है लेकिन इंडियन कल्चर में यह बात गलत साबित हो रही है। क्योकि यहां एक जैन मुनि द्वारा पांच या दस नहीं बल्कि 200 चीजों को क्रम अनुसार याद किया जाकर उसी क्रम में सारी चीजे बताए जाएगी। जिसका अनूठा कार्यक्रम 20 अक्टूबर को सागोद रोड स्थित चंपा विहार में आयोजित होने जा रहा है। गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर जी म.सा. ने कहा कि विज्ञान को टक्कर देने के लिए जैन मुनि तैयार हुए है। सामान्य तौर पर कोई भी व्यक्ति पांच-दस चीजों को देखकर याद रख लेता है लेकिन पहले उसने क्या देखा और बाद में क्या, इसका क्रम बताने में टूट जाता है लेकिन जैन मुनि के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। वे हजारों लोगों की भीड में से पूछे गए 200 शब्द उसी क्रम में बता सकते है। उनकी इसी विद्या के कारण वह यह तक बता देंगे कि कौन से प्रश्न के समय कोई साउंड बजा था या नही और यदि बजा तो वह कौन से क्रम के प्रश्न के समय कितनी बार बजा। गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर जी म.सा. ने कहा कि भारत के लोगों के लिए यह विद्या कोई नहीं नहीं है। सरस्वती साधना पहले से चली आ रही है। पहले के दौर में ऋषिमुनि और साधु-संतों के द्वारा गुरू से शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरू कोई भी श्लोक, दोहा या चौपाई बालेते थे तो शिष्य हजारों श्लोक और लाखों ग्रंथों को सुनकर नियमित रूप से उनका अभ्यास करते है। दरअसल साधना किए बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। ज्ञान को प्राप्त करने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।

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