आंतरिक में छिपे विराट स्वरूप का साक्षात्कार प्रशिक्षण से ही संभव है – राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । मंदबुद्धि के पशुओं को प्रशिक्षण देने वाला मिले तो उसमें भी प्रतिभा का विकास हो जाता है तो भला इंसान को प्रशिक्षित मिले तो असंभव को भी संभव करके क्यों नहीं दिखा सकता है । उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने महावीर भवन नीमच की हवेली में प्रतिभा सम्मान समारोह को संबोधित करते कहा कि प्रशिक्षण के अभाव में जी विश्व की संपत्ति दान देकर भी प्रतिभा का निर्माण नहीं हो सकता है । उन्होंने कहा कि आंतरिक में छिपे विराट स्वरूप का साक्षात्कार प्रशिक्षण से ही संभव है प्रशिक्षण करता हमारे लिए परमात्मा से कम नहीं है । मुनि कमलेश ने कहा कि प्रतिभा अपने आप में अनमोल धन है कोई चुरा भी नहीं सकता बंटवारा भी नहीं कर सकता जैन संत ने बताया कि ज्ञान और विवेक युक्त प्रशिक्षण ही स्वर और पर के लिए वरदान बन सकता है । राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि हर आत्माओं में खूब प्रतिभा का भंडार भरा हुआ है सिर्फ आवश्यकता है तराशने की अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली शाखा जोधपुर की ओर से प्रतिभाओं का सम्मान किया गया । कौशल मुनि अरिहंत मुनि ने विचार व्यक्त किए घनश्याम मुनि ने मंगलाचरण किया।