वात्सल्य के प्रशस्तराग से आत्मा को दुर्गति से मुक्ति मिलती है – राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश

मुंबई नालासोपारा कच्छी गुजराती जैन स्थानक 26 नवंबर 2024 । जब आत्मा वात्सल्य भाव से आराध्या के रंग में पूर्ण रूपेण रंग जाती है विषय विकार उससे स्वतः दूर हो जाते हैं । उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने संबोधित करते कहा कि मालिन आत्मा को प्रक्षालन के लिए वात्सल्य के अलावा और कोई साधन नहीं है ।
उन्होंने कहा कि वात्सल्य भाव से हमारी आत्मा तो पवित्र होती है उस वाइब्रेशन का प्रभाव इंसान पशु पक्षी यहां तक पूरी प्रकृति पर पड़ता है उनमें भी पवित्र भावों का संचार होता है । राष्ट्र संत ने कहा कि वात्सल्य के प्रशस्तराग से आत्मा को दुर्गति से मुक्ति मिलती है साथ ही देवलोक तो क्या मोक्ष तक की मंजिल प्राप्त कर सकता है ।
जैन संत ने कहा कि सभी धर्म के भगवान उपासना पद्धति अलग-अलग होने के बावजूद वात्सल्य सही आत्म कल्याण संभव है सभी ने स्वीकार किया है । आत्मा को निर्मल बनाने के लिए तीन लोक की संपत्ति काम नहीं आती । सरकार, विज्ञान के पास कोई रसायन नहीं है। वत्सल भाव के वाइब्रेशन श्रद्धा, भक्ति, समर्पण, विनय और त्याग से निर्मित होते हैं ।
27 नवंबर को राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश एवं शांत क्रांत संघ के आचार्य श्री विजय राज जी महाराज के शिष्य प्रवचन प्रभावक श्री नवीन प्रज्ञा जी आदि संतों का मधुर मिलन विरार जैन स्थानक स्टेशन पर शाम को करीब 5:00 बजे होने जा रहा है ।