बंगलादेश में हिन्दू समाप्त हो जाएंगे और हम देखते रहेंगे

लेखक – प्रो.डी.के.शर्मा, रतलाम

हिन्दू दुनिया की सबसे अधिक असुरक्षित कौम है। इतिहास देख लें तो पता चलता है कि कभी किसी राजा/शासक ने हिन्दूओं की रक्षा के लिए युद्ध नहीं लड़ा, युद्ध लड़ा तो केवल अपनी सत्ता बचाने के लिए। वर्तमान भाजपा सरकार हिन्दूत्व के नाम से ही सत्ता का सुख भोग रही है। हिन्दूओं के वोट से ही मोदी को सत्ता प्राप्त हुई है। हिन्दूओं के अतिरिक्त भाजपा को कोई वोट नहीं देता। जो करोड़ों मुसलमान मुफ्त का राशन खा रहे हैं उनमें से शायद ही कोई भाजपा को वोट देता होगा। भाजपा सरकार की कृपा से गंदे नालों के पास झोपड़ों में रहने वालों को भी पक्के मकान मिल गये, किन्तु उनके वोट गिनती के ही मिलते हैं।
हिन्दू एक लावारिस कौम है जिसका ना कोई देश, न संरक्षक। जब पाकिस्तान बना तब वहां 24 प्रतिशत हिन्दू बचे थे, आज 1 प्रतिशत से भी कम बचे हैं। सबको मार-मार कर मुसलमान बना लिया गया। हिन्दूओं की लड़कियों को खुलेआम उठाकर ले जाते हैं, किन्तु कभी किसी भारत सरकार ने विरोध प्रकट नहीं किया। वर्तमान सरकार ने भी नहीं। बेचारे लावारिस हिन्दू।
बंगलादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही हिन्दूओं पर जबरदस्त अत्याचार हो रहे हैं। परिवारवालों के सामने उनकी बहु-बेटियों को उठा ले जा रहे हैं किन्तु भारत सरकार ने कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया। संबल में पत्थर फेंकने वालों के मारे जाने पर दौड़कर जाने को बैचेन वोट के खिलाड़ी बंगलादेश में हो रहे हिन्दूओं के हत्याकांड पर चुप हैं। टीवी चैनल प्रतिदिन हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचारों को दिखा रहे हैं, किन्तु सरकार चुप है और विरोधी दल भी चुप हैं। कितनी शर्मनाक सहमति है? काश, देश हित में ऐसी सहमति बनी होती।
बंगलादेश के निर्माण में भारत का योगदान सर्वविदित है। पूर्व पाकिस्तान के बंगाली मुसलमानों को पाकिस्तान की गुलामी से मुक्ति दिलाने का उपकार भारत ने ही किया था। आज वही बेवफा हिन्दूओं को मार रहे हैं, हिन्दूओं की बहन-बेटियों को उठा ले जा रहे हैं, उनके घर और दुकानें तोड़ रहे हैं। कितना अच्छा सिला दिया भारत के एहसान का। अब लगता है कुछ ही समय में बंगलादेश में हिन्दू समाप्त हो जाएंगे। दुनियाभर में मानवता का रागअलपाने वाले चुप हैं। विदेश में जाकर भारत के मुसलमान नेता देश विरोधी बयान देते हैं। खुलेआम झुठे आरोप लगाते हैं कि प्रजातंत्र खतरे में है, मुसलमान खतरें में हैं। ऐसे मुस्लिम परस्त नेताओं को भारत के बहुसंख्यक हिन्दूओं की कोई चिंता नहीं। निष्पक्ष विश्लेषण करें तो दिखाई देता है कि जितने सुरक्षित मुसलमान भारत में हैं और कहीं नहीं। जितनी सुविधाएं उन्हें भारत में मिल रही है उतनी पाकिस्तान में भी नहीं। वहां तो आटे के लिए भी रो रहे हैं।
भारत को बंगलादेश में खतरे में पड़े हिन्दूओं को बचाने के लिए क्या करना चाहिए? कुछ करना भी चाहिए या नहीं? पिछले वर्षों में हमने बड़ी-बड़ी बातें सुनी हैं। छेड़ोगे तो छोड़ुंगा नहीं सुन-सुनकर कान पक गये हैं। अब बंगलादेश के मुसलमान हिन्दूओं को नहीं छोड़ रहे। क्या हुआ ‘छेड़ोगे तो छोड़ुंगा नहीं’, जुमले का। विरोधी दल वोट के लिए चुप हैं। वे तो मुस्लिम परस्त हैं ही। वर्तमान में बंगलादेश में एक करोड़ इक्तीस लाख हिन्दू हैं। लगता है कुछ ही समय में वे भी गायब हो जाएंगे। सुरक्षित रहने के लिए उन्हें इस्लाम अपनाना ही पड़ेगा।
सुरक्षा की दृष्टि से विचार करें तो भारत की चुप्पी देश हित में नहीं है। कभी – कभी सुनाई देने वाले विरोध के इक्के-दुक्के शब्दों से कुछ होने वाला नहीं। भारत ने बंगलादेश बनाने में मदद की। बंगलादेशी मुसलमान जिस आजादी से हिन्दूओं पर अत्याचार कर रहे हैं वह आजादी उन्हें भारत की कृपा से ही प्राप्त हुई है। भारत ने जो मदद की थी उसका कितना अच्छा सिला बंगलादेश के मुसलमान दे रहे हैं। भारत ने पाकिस्तान से मुक्ति दिलाकर बंगलादेश को स्वतंत्र करवाया; भारत में उसे मिटा देने की हिम्मत भी होनी चाहिए। जिस रास्ते पर बंगलादेश जा रहा है उससे स्पष्ट है कि शीघ्र ही वह भारत विरोधी हो जाएगा। हो क्या जाएगा, हो ही गया है। विचार करें, भारत से चारों तरफ घिरे एक देश का भारत विरोधी हो जाना भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इस खतरे को अभी मिटा देना चाहिए। देरी करना भारत को बहुत महंगा पड़ेगा। देश के बीच में एक दुश्मन देश का होना बहुत बड़ा खतरा है। इसे सुरक्षा विशेषज्ञ ही समझ सकते हैं। सरकार को सुरक्षा विशेषज्ञों से सलाह लेकर तुरंत कार्यवाही करना चाहिए। वैसे, देरी तो हो ही चुकी है।
बंगलादेश बनने के बाद उसके पुर्ननिर्माण में भारत ने असीमित सहायता की। बंगलादेश की सेना को बनाने में सबकुछ भारत ने ही दिया। बिजली पानी की व्यवस्था भी भारत ने ही की। इसमें बेहिसाब धन खर्च हुआ जिसमें से भारत ने एक पैसा भी नहीं लिया। आज भी बंगलादेशी ईलाज और अन्य सुविधाओं के लिए भारत पर ही निर्भर है। अब बंगलादेश के मुसलमान वहां के हिन्दूओं को मारकर भारत का ऋण चुका रहे हैं? क्या इसको ही वफाई कहते हैं?
विचार करे तो गलती भारत द्वारा विभाजन के समय ही हुई। जब पाकिस्तान ने स्वयं को मुस्लिम राष्ट्र घोषित कर दिया था तो भारत को भी स्वयं को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना चाहिए था। संविधान सभा के अधिकतर सदस्य हिन्दू थे फिर भी उन्होंने उदारता का परिचय देकर धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाया। यह उदारता भारत में रहने वाले हिन्दूओं को बहुत महंगी पड़ रही है। अब भुगत रहे हैं। भारत में ही हिन्दू बहुत खतरे में हैं। सत्ता के खेल के खिलाड़ी खुलेआम हिन्दूओं का विरोध कर रहे हैं उनमें अधिकतर हिन्दू हैं, कुछ मुसलमान हिन्दू बनकर घुमते हैं, देश का दुर्भाग्य।
अब सरकार को क्या करना चाहिए? यदि भारत सरकार ने बंगलादेश के हिन्दूओं की रक्षा करने की थोड़ी सी भी इच्छा हो तो बंगलादेश के विरूद्ध बिना देर किये सख्त कार्यवाही करना चाहिए। युद्ध अच्छा नहीं किन्तु आवश्यक हो तो देरी नहीं करना चाहिए। हिन्दी में एक प्रचलित कहावत है- ‘पहले मारे सो मीर’। परन्तु लगता नहीं की भारत सरकार की ऐसी कोई इच्छा है? देश में जुलुस निकलवाने से बंगलादेश के हिन्दू बच नहीं पाएंगे।

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