कितना आगे निकल गए हम वक्त की दौड़ में की आजकल के बच्चे वृद्धाश्रम बनाना सीख गए

रतलाम । आज नीमचौक स्थानपक श्रवण चारित्र विषय पर पूज्य डॉ. श्री समकित मुनि म.सा. ने कहा कि गर्मी में एसी और सर्दी में हीटर है, रिश्तों को नापने के लिए आजकल स्वार्थ का थर्मामीटर है। मंदिर में हाथ जोड़कर नित्य शीश झुकाते है लेकिन माता पिता को नमन करने होली दिवाली आते है। चेहरे की झुर्रियों को झुठलाना सीख गए, आँखों के तारे आँख दिखाना सीख गए, जिनको कभी बोलना सिखाया आज वो चिल्लाना सिख गए । सुनाई थी जिनको बचपन में कहानियां आज वो ताने देना सीख गए । कितना आगे निकल गए हम वक्त की दौड़ में की आजकल के बच्चे वृद्धाश्रम बनाना सीख गए।
माँ बाप से जो संबंध होता है वो सबसे पहला और सबसे नजदीक का सम्बंध होता है, दुनिया में आने के पहले ही माँ से सम्बंध स्थापित हो जाता है। माँ का उपकार पिता से भी ज्यादा होता है । जब तक हम सक्षम न हो जाए योग्य न हो जाए तब तक वो बच्चे की साज संभाल करती है । चाहे संतान जन्मजात विकलांग हो, यदि संतान विकलांग हो तो माँ का प्रेम संतान के प्रति और ज्यादा हो जाता है कितने जतन से माँ अपने विकलांग बच्चें की देखभाल करती है । माँ की ममता की थाह पाना बहुत मुश्किल है।
आगम में चुलनीकीता श्रावक का वर्णन है, जिसकी साधना, भक्ति भावना की चर्चा देवलोक तक होने लगी, तो देवता उसकी परीक्षा लेने आए और भयंकर रूप धारण करके बोला की तू प्रभु भक्ति और साधना छोड़ दे नही तो तेरी सब धन संपत्ति जलाकर राख कर दूँगा, वो अडिग रहा, फिर कहा तेरे रिश्तेदारों को तुझसे दूर कर दूँगा फिर भी साधक अडिग रहा फिर उसकी माँ को खत्म करने की धमकी दी तो उसने तुरंत साधना छोड़ दी, मतलब धर्म ध्यान साधना से भी बढ़कर है माँ बाप का ख्याल रखना उनकी रक्षा करना।रिश्ते आजकल स्वार्थ की बुनियाद पर टिके है। मेरा स्वार्थ पूरा हो रहा है तब तक ही तू मेरा भाई है, माँ बाप है। आदमी ने पैसा बनाया और पैसे ने आदमी को पागल बना दिया, पैसा जब तक पॉकेट में है तब तक ठीक है लेकिन पॉकेट से निकल कर जब दिमाग में घुस जाता है तो व्यक्ति का व्यवहार और भाषा बदल जाती है।
मंदिर में हाथ जोड़कर नित्य शीश झुकाते है लेकिन माता पिता को नमन करने होली दिवाली आते है।
ज्ञानी जन कहते है इंसान से प्यार करो और पैसे का उपयोग करो, लेकिन लोग पैसे से प्यार और लोगो का उपयोग करते है। यूज़ एंड थ्रो की संस्कृति दिलोदिमाग पर हावी हो गई है। व्यक्ति काम का है तो बहुत आवाभगत होती है और काम निकल गया या काम का नही है तो पहचानते तक नही ।
हमेशा अपने माता पिता के प्रति वफादार रहो भले ही माँ बाप अपनी संतानों में पक्षपात कर ले आपको कुछ कम भी मिले तो भी वफादार बने रहो उस वक्त ये सोचो राजा दशरथ ने तो अपने बेटे को खाली हाथ 14 साल के लिये वन में भेज दिया था कम से कम मेरे माँ बाप ने मेरे साथ ऐसा तो नही किया है।
जब श्रवण कुमार को राजा दशरथ का तीर लगता है तो राजा श्रवण से अपनी भूल की माफी माँगता है, श्रवण कहता है मुझे मरने की पीड़ा नही है लेकिन मेरे बूढ़े और अंधे माता पिता प्यासे है में कैसा बेटा हुँ जो उन्हें पानी भी नही पिला पाऊँगा, मेरे माँ बाप मेरे बिना जीवित नही रह पाएंगे आप जाओ और उन्हें पानी पिला दो। राजा पानी लेकर जाता है व्याकुल माता पिता आहत सुनकर खुश होते है की श्रवण आ गया लेकिन जब स्पर्श करते है तो अहसास हो जाता है की वो उनका बेटा नही है, वो दशरथ से बेटे के बारे में पूछते है राजा उन्हें श्रवण के शरीर के पास ले जाता है और घटना बताता है बूढ़े माँ बाप विलाप करते करते प्राण त्याग देते है। संतान बनो तो ऐसी बनो की माँ बाप एक पल के लिए भी तुम्हारा वियोग सह न सके। श्रवण की माँ श्रवण को पुकारती है, ये केवल श्रवण की माँ की पुकार नही है ऐसी लाखों मांए है जो अपने बेटे को पुकारती है लेकिन बेटे तक माँ की आवाज पंहुचती ही नही है संतान अपनी दुनिया में मस्त रहती है ।
अगर हकीकत में तुम्हारे भीतर संवेदना है तो माता पिता के प्रति वफादार रहना। जीवन में कम से कम दो जनों के साथ चीटिंग मत करो कहते है डायन भी दो घर छोड़ती है ।
आजकल घरों का माहौल बहुत खराब हो गया है । बूढ़े माँ बाप किसी से कुछ कह भी नही सकते है और सह भी नही सकते है। क्योंकि वो घर की इज्जत नीलाम करना नही चाहते है। माँ बाप कुछ ही सालों के मेहमान है अंतिम समय में उन्हे साता पँहुचाओ कष्ट मत दो, इंसानियत के लेवल से नीचे मत गिरों।
वैसे तो श्रवण कुमार का यह कथानक कई बार सुना है लेकिन पूज्य श्री समकित मुनि के मुखारविंद से यह कथानक शब्दों की करुणा, छटपटाहट, वात्सल्य, उतार चढ़ाव सुनकर सभा में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं और बच्चों की आँखे नम हो गई ऐसा जीवंत वर्णन जैसे सामने चलचित्र चल रहा हो गुरुदेव द्वारा किया गया।
गुरुदेव के दर्शन हेतु चेन्नई से एक भक्त एल एस छल्लाणी सपरिवार पधारे गुरु के प्रति उनकी इतनी भक्ति की 2017 में चेन्नई चातुर्मास के बाद से लगातार नासिक, बैंगलोर आदि के चातुर्मास में वो 150 और 300 भक्तों को फ्लाइट से लेकर गुरुदेव के चरणों में दर्शन हेतु पधारे, और आगे भी ऐसी ही उनकी भावना है दिनांक 22 से लोगग्स और लोगस्स की महिमा लोगस्स पर आधारित प्रवचन माला प्रात: 09 से 10 बजे नीमचौक स्थानक पर गुरुदेव के मुखारविंद से प्रारम्भ होगी।