राष्ट्र में भ्रष्टाचार और विश्व में आतंकवाद के पीछे व्यसनों का हाथ-आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा

रतलाम,17 सितंबर। परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कहा कि व्यसनों की आदत सबसे बडी पराधीनता है। पराधीन व्यक्ति सपने मंे भी सुख का अनुभव नहीं करता। राष्ट्र में भ्रष्टाचार और विश्व में आतंकवाद की बुनियाद में व्यक्ति के व्यसन का ही हाथ है।
पर्यूषण पर्व के छटे दिन आचार्यश्री ने सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में कहा कि व्यसन सेवन व्यक्ति का अशांत करता है और अशांत व्यक्ति परिवार को संक्लेशमय बना देता है। परिवार को सुखमय बनाने के लिए हर व्यक्ति का व्यसन मुक्त बनना जरूरी है। विडंबना है कि आज संसार में व्यसनों की भरमार बढती जा रही है, जिससे परिवार का कषायांे से मुक्त होना असंभव हो रहा है। परिवार और समाज परस्पर एक-दूसरे से जुडे है, ये तभी शांत, संगठित और सुव्यवस्थित रहेंगे, जब व्यक्ति निव्र्यसनी होगा।
आचार्यश्री ने कहा कि व्यसनों से आर्थिक भार भी बढता है। युवा पीढी यदि संभल जाए, तो समाज और राष्ट्र की छवि को उज्जवन बना सकती है। लेकिन आज युवा पीढी जल्दी पैसा, ज्यादा पैसा और किसी भी तरीके से पैसा कमाना चाहती है। उसकी जब पैसे की ख्वाहिश पूरी नहीं होती, तो वह व्यसन सेवन कर खुद को शांत बनाना चाहती है। व्यसन सेवन की आग उसे और अशांत बना देती है। न्याय, नीति, ईमानदारी की राह पर चलने वाली युवा पीढी कभी व्यसन सेवन नहीं करना चाहेगी। सारा युवा वर्ग यदि संकल्प कर ले, तो सुख शांति के आने में देर नहीं लगेगी।
मृत्यु दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कृति-उपाध्याय प्रवर
उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनिजी मसा ने मृत्यु का दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कृति बताया। उनके अनुसार मृत्यु को सच्चे मन से स्वीकार करो, क्यों कि मृत्यु का भय ही गुरू के चरण और ईश्वर के सत्य को स्वीकार कराता है। यह सत्य स्वीकारने से जीवन उत्सव बनेगा और मरण महोत्सव बन जाएगा। जीवन में एक पल का भरोसा नहीं होता, लेकिन व्यक्ति कल की चिंता करता है। कई लोग जन्मदिन के उत्सव मनाते है, लेकिन ये नहीं सोचते कि वे मृत्यु के करीब जा रहे है। उम्र के साल किलोमीटर के पत्थर है, जो जितने छूटते है, उतना मृत्यु करीब आती है। हम सबको मरना है कहते है, लेकिन उसमें खुद को नहीं जोडते। इसलिए मृत्यु का झटका शुभ होता है, क्योंकि इससे जीवन बदल सकता है। आरंभ में श्री विशालप्रिय मुनिजी मसा ने अंतगढ सूत्र का वाचन किया। इस मौके पर संजय मेहता ने मासक्षमण के प्रत्याख्यान लिए। इस दौरान कई श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।