आचार्य सम्राट पूज्य डॉ. शिवमुनि म.सा. के 79 वें जन्मोत्सव पर सामूहिक सामयिक एवं एकासना में एक नया कीर्तिमान स्थापित हुआ, देशभर के गुरू भक्तों ने भेजे बधाई संदेश

जावरा (अभय सुराणा) । श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनिजी म.सा. को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम विश्व शांति पुरूस्कार 2020 से सम्मानित किया गया है। उक्त सम्मान आचार्य श्री को उनके 79 वें जन्मोत्सव पर 18 सिंतबर 2020 को बलेश्वर सूरत में प्रदान किया गया। यह पुरूस्कार आचार्यश्री जी को आत्म ध्यान के द्वारा विश्व में शांति और आनंद फैलाने के कार्य के लिए प्रदान किया गया। आचार्यश्री को पूर्व में भी अनेक सम्मान एवं अलंकारों से अलंकृत किया गया है ।
श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर आचार्य सम्राट पूज्य श्री डॉ. शिवमुनिजी म.सा. का 79 वां जन्मदिवस अवध संगरीला, बलेश्वर, सूरत में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में शिवाचार्य समवसरण की शोभा बढ़ा रही थी । सर्वप्रथम एक घंटा वीतराग साधिका निशाजी जैन द्वारा वीतराग सामयिक करवाई गई। तत्पश्चात सहमंत्री श्री शुभमुनिजी म.सा. ने ओजस्वी वक्तव्य और मधुर गीत के साथ जन्मोत्सव की शुभकामनाएं प्रदान करते हुए देश भरसे प्राप्त सामयिक एवं एकासन की संख्या सबको अवगत कराई।
उसके बाद ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ हयुमन राईट्स लिबर्टीज एंड सोशल जस्टिस संस्था के चेयरमेन डॉ. एन्थोनी राजू एवं डॉ.जी. आनंदराज ने सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्यश्री जी को मानवता, सरलता करते हुए उन्होने कहा कि आचार्यश्री जी समग्र विश्व से आत्म ध्यान द्वारा जो शांति एवं आनंद फैला रहे है वह सबको अपनाना चाहिए । इसी से ही देश का एवं विश्व का कल्याण होगा ।
अपने जन्मोत्सव के अवसर पर आचार्यश्री जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह अवार्ड या सम्मान मेरा नहीं अपितु जैन धर्म, विश्व शांति और अहिंसा का है । भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए,पी.जे.अब्दुल कलाम का जीवन मानव मात्र के लिए प्रेरणास्त्रोत था । वे गरीब मुस्लिम परिवार में जन्मे थे, फिर भी शुद्ध शाकाहारी रहे बहुत गरीबी में उन्होंने अपना जीवन गुजारा । अखबार बेचकर उन्होंने पढ़ाई की । वे गीता और कुरान को एक जैसा सम्मान देते थे। भारत में अग्नि जैसे पहली मिसाईल बनाकर एक इतिहास कायम किया था । वह भारत के राष्ट्रपति बने । उनकी सादगी का कोई जवाब नहीं था । राष्ट्रपति का पद छोडऩे के बाद एक अटैची लेकर वह राष्ट्रपति भवन से विदा हो गए । उनका सम्पूर्ण जीवन, तकनीक एवं राष्ट्र के लिए समर्पित रहा।
आज मेरे शरीर का जन्म दिवस है, आत्मा जो अजर-अमर-अविनाशी है । जब से अरिहंत परमात्मा श्री सीमधंर स्वामीजी की कृपा बरसी है । जन्मदिन कुछ नहीं लगता है । आप सब ने मुझे बधाई दी, मैं आप सबको बधाई देता हूं । इस मानव जन्म को पाकर हम सभी आनंद, शांति, आत्म ज्ञान पाने का पुरूषार्थ करें तो जन्म सार्थक है । आज के इस शुभ अवसर पर मुनि वंृद की तरफ से श्रमण संघीय प्रमुख मंत्री श्री शिरीषमुनिजी म.सा., प्रवचन प्रभाकर श्री शमितमुनिजी म.सा., मधुर गायक श्री निशांतमुनिजी म.सा., सेवा रत्न श्री शाश्वतमुनिजी म.सा. आदि ने बधाई प्रदान करते हुए अपनी भाव वंदनाएं प्रस्तुत की।
श्री ऑल इंडिया श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कांफ्रेस एवं संतो के आव्हान पर आचार्य भगवन के ७९ वें जन्मोत्सव पर पूरे विश्व में 1 लाख 1 हजार सामयिक (1 लाख घंटे में भक्तगणों ने ध्यान, स्वाध्याय एवं जप साधना में व्यतीत किया) एवं 18 हजार से अधिक एकासन (यानि एक समय भोजन कर: करते हुए समस्त धर्मानुयायियों ने अपने आप में तप-ध्यान की अनुपम भेंट आचार्यश्री जी को प्रदान की ।
इस अवसर पर सूरत महासंघ के अध्यक्ष श्री हुकमीचंद कोठारी ने आगामी वर्षाताप सूरत महासंघ को प्रदान करने की विनती प्रस्तुत की। वहीं पर श्रावक समिति के राष्ट्रीय महामंत्री श्री अशोक मेहता ने श्री सरस्वती विद्या केन्द्र, नासिक की ओर से अक्षय तृतीया पारणा, आत्म ध्यान एवं आगामी वर्षाताप की विनती रखी । इस अवसर पर गणमान्य अतिथि श्रावक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रविन्द्र जैन दिल्ली, श्री सुशील जैन करनाल, श्री अरिंहत जैन भीलवाड़ा, श्री वर्धमान जैन भीलवाड़ा, श्री हुकमीचंद कोठारी, श्री रोशन ओरडिय़ा, अशोक मेहता, श्री दिनेश संचेती, श्रीमकी अनामिका तलेसरा, श्रीमती कांति पारख, श्रीमती अल्का जैन, सुश्री ज्योति मेहता ने भी आचार्य को जन्मदिवस की शुभकामनाएं दी । इस अवसर पर समग्र भारत में विराजमान अनेक प्रमुख संतो एवं श्रावकों के बधाई संदेश प्राप्त हुए ।
इस अवसर पर श्री तुलसी भाई जैन, श्री रमेश भाई जैन, श्री तिलक भाई जैन परिवार की ओर से प्रभावना का वितरण किया गया । कार्यक्रम में आए हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद श्री रोहित जैन ने किया । उक्त जानकारी अखिल भारतीय श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कांफ्रेस के पूर्व वरिष्ठ मार्गदर्शक श्री अभय सुराणा ने दी ।