पश्चाताप प्रायश्चित आलोचना क्षमायाचना का त्यौहार है संवत्सरी – शासन दीपक हेमंत मुनी जी

रतलाम । आचार्य श्री रामलाल जी मसा के आज्ञानुवर्ती शासन दीपक हेमंत मुनि जी महाराज साहब ने पर्युषण के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व पर प्रवचन में फरमाया कि पश्चाताप आलोचना प्रायश्चित श्रमा याचना व प्रतिक्रमण करके हमारे मन को नियंत्रित करने का त्यौहार है संवत्सरी का महापर्व क्षमा करने का क्षमा मांगने का श्रमवाण बनने का है जिसे जग को क्षमा से जीत लिया वह वीर कहलाता है किसी जीव के प्रति इतनी भी असातना न हो ऐसा भाव रखने वाला वीर होता है श्री ब्रह्मऋषि जी महाराज साहब ने राजा भोज की कहानी से बंदी छोड़ का उदाहरण देकर धार्मिक व्यंग प्रस्तुत किया श्री लाघव मुनि महाराज साहब ने उपाध्याय प्रवर श्री राजेश मुनि जी महाराज साहब के सरल सौम्य अहिंसा के प्रति सजग जीवन चरित्र का चित्रण किया महासति शकुंतला श्री जी महाराज साहब ने 9 आचार्य के महान संदेशों का महत्व बताया समीक्षा श्री जी महाराज साहब ने कहा कि व्यक्ति अपने चित्त को स्थिर कर ले तो वह जीवन में बहुत आगे बढ़ कर उन्नति पा सकता है उसका लक्ष्य तय होना चाहिए । दीप्ती श्री जी महाराज साहब ने आचार्य श्री ननेश के समभाव के बारे में समझाया जयंतकार श्री जी महाराज साहब ने कहा कि हमारा मन बालक की तरह होना चाहिए सौम्य व निर्मल जैसा कि हम कोई अहंकार में पड़े ही ना और क्षण भर में विवाद की बात भूलकर हर व्यक्ति को क्षमा कर दें और उसके साथ चल पड़े। इस अवसर पर 75 से अधिक अट्ठाई तप के तपस्वियों ने पचखान ग्रहण किया एवं कई श्रावक श्राविकाओं ने बड़ी छोटी तपस्याओं के पचखान भी ग्रहण किया सभा में साधुमार्गी जैन श्रीसंघ अध्यक्ष कांतिलाल छाजेड़ वरिष्ठ सुशावक पूनम चंद कोठारी आनंदीलाल पिरोदिया महिला मंडल किरण चंडालिया सुधा बोहरा समतयुवा संघ से अर्पित गांधी अर्पित बाफना बहु मंडल से सोनाली गोरेचा रिंकू कोठारी बालक मंडल से नमन कोठारी बालिका मंडल से परि लसोड़ आदि ने अपने भाव प्रस्तुत किये उपरोक्त जानकारी संघ के प्रीतेश गादिया ने देते हुए बताया कि सभा में लगभग 2800 से अधिक श्रावक श्राविकाओं ने भाग लिया सभा का संचालन मंत्री अशोक पिरोदिया व अर्पित गांधी ने किया।